गुणों से भरपूर है वेत्र (बेंत)

गुणों से भरपूर है वेत्र (बेंत)

वेत्र के फायदे और उपयोग
जैसा कि हमने पहले ही कहा कि वेत्र या बेंत से चीजें बनाई जाती है लेकिन यह औषधी के रुप में भी प्रयोग में लाया जाता है। यह किन-किन बीमारियों के लिए फायदेमंद हैं इसके लिए आगे पढ़ना पढ़ेगा-

मूत्र संबंधी रोग में वेत्र (बेंत) के फायदे
मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। बेंत की जड़ को पीसकर चावल के धोवन के साथ पिलाने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।

पथरी की समस्या में बेंत (वेत्र) के फायदे
अक्सर खान-पान की गड़बड़ी या किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण मूत्राशय में पथरी की शिकायत होती है लेकिन बेंत का सही तरह से सेवन करने से लाभ होता है। बेंत का क्षार बनाकर 500 मिग्रा क्षार में शहद मिलाकर सेवन करने से मूत्राश्मरी में चूर्ण होकर अश्मरी या पथरी निकल जाती है तथा यह मूत्रल होता है।

बेंत (वेत्र) के औषधीय गुण से डायबिटीज पर नियंत्रण
अगर किसी भी तरह डायबिटीज को नियंत्रण नहीं पर पा रहे हैं तो बेंत का सेवन लाभ दो सकता है। पत्ते के रस को पीने से जलन कम होता है तथा प्रमेह या डायबिटीज से आराम मिलता है।

ल्यूकोरिया में बेंत (वेत्र) के सेवन से लाभ
महिलाओं को अक्सर योनि से सफेद पानी निकलने की समस्या होती है। सफेद पानी का स्राव अत्यधिक होने पर कमजोरी भी हो जाती है। बेंत के कोमल डंठलों तथा जड़ को काटकर सुखाकर काढ़ा बनाकर पीने से प्रमेह तथा प्रदर में लाभ होता है।

योनि (वैजाइना) के ढीलेपन की समस्या में बेंत के फायदे
अगर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण वैजाइना लूज हो गया है तो बेंत का घरेलू उपाय इस्तेमाल करने से फायदेमंद साबित होता है। बेंत की जड़ को कुट कर 10 ग्राम चूर्ण को 100 मिली जल में मिलाकर मन्द आंच पर पकाकर काढ़ा बनाकर, छानकर योनि को धोने से योनि शैथिल्य (लूज वैजाइना) में लाभ मिलता है।

रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना) में बेंत (वेत्र) के सेवन से लाभ
10-15 मिली बेंत जड़ के काढ़े में शहद मिलाकर पिलाने से रक्तपित्त में लाभ होता है।

अवसाद (डिप्रेशन) में बेंत (वेत्र) के सेवन से लाभ
आजकल के तनाव भरे जिंदगी में डिप्रेशन होना आम बात हो गया है लेकिन वेत्र का घरेलू इलाज बहुत फायदेमंद होता है। बेंत के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से अवसाद में लाभ होता है।

बेंत (वेत्र) के औषधीय गुण से बुखार का इलाज
वेत्र का औषधिपरक गुण बुखार के लक्षणों से आराम दिलाने में लाभकारी होता है। बेंत के जड़ का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से जीर्ण ज्वर का कष्ट कम होता है।

आमदोष में फायदेमंद वेत्र (बेंत) का सेवन
बेंत के पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर पीने से आमदोष (पाचन की कमजोरी के कारण जब खाना हजम नहीं होता तो उससे बने विषैले तत्व को आमदोष कहते हैं) से राहत मिलती है।

सूजन की समस्या में बेंत (वेत्र) का औषधीय गुण फायदेमंद
अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो बेंत के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। बेंत की कोमल शाखाओं का साग बनाकर बिना नमक मिलाए सेवन करने से सूजन कम होता है।

कुत्ते के काटने पर बेंत (वेत्र) का औषधीय गुण लाभदायक
बेंत के जड़ के साथ समान भाग में कूठ की जड़ मिलाकर कुट कर काढ़ा बनाकर पिलाने से कुत्ते के विष का असर कम होता है।

वेत्र के उपयोगी भाग
आयुर्वेद में वेत्र के पञ्चाङ्ग का औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।