जानिए जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़े 13 रोचक तथ्य

जानिए जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़े 13 रोचक तथ्य

हिन्दुओं की आस्था का एक केन्द्र भगवान जगन्नाथ की जगन्नाथ पुरी है। 10वीं शताब्दी में निर्मित यह प्राचीन मन्दिर सप्त पुरियों में से एक है।आज इस लेख में हम आपको जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़े रोचक और अद्भुत तथ्यों के बारे में बता रहे है।

  • पुरी की सबसे खास बात तो स्वयं भगवान जगन्नाथ हैं जिनका अनोखा रूप कहीं अन्य स्थान पर देखने को नहीं मिलता है। नीम की लकड़ी से बना इनका विग्रह अपने आप में अद्भुत है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह एक खोल मात्र है। इसके अंदर स्वयं भगवान श्री कृष्ण मौजूद होते हैं।
  • जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लहराता झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में रहता है।
  • तीर्थ में आप कहीं भी हों, मंदिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र हमेशा सामने ही दिखाई देगा।
  • यह है जगन्नाथ जी का महाप्रसाद। मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे पर रखा जाते हैं। और प्रसाद लकड़ी जलाकर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में लेकिन सबसे ऊपर के बर्तन का प्रसाद पहले पकता है।
  • समुद्र तट पर दिन में हवा जमीन की तरफ आती है, और शाम के समय इसके विपरीत, लेकिन पुरी में हवा दिन में समुद्र की ओर और रात को मंदिर की ओर बहती है।
  • मुख्य गुंबद की छाया किसी भी समय जमीन पर नहीं पड़ती।
  • मंदिर में कुछ हजार लोगों से लेकर 20 लाख लोग भोजन करते हैं। फिर भी अन्न की कमी नहीं पड़ती है। हर समय पूरे वर्ष के लिए भंडार भरपूर रहता है।
  • हमने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे और उड़ते देखे हैं. जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको चौंका देगी कि इसके ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता ।
  • सिंहद्वार में प्रवेश करने पर आप सागर की लहरों की आवाज को नहीं सुन सकते। लेकिन कदम भर बाहर आते ही लहरों का संगीत कानों में पड़ने लगता है।
  • एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदलता है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा।
  • मन्दिर का रसोई घर दुनिया का सबसे बड़ा रसोइ घर है। विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद को बनाने 500 रसोईये एवं 300 उनके सहयोगी काम करते है।
  • कुछ इतिहासकार यह सोचते हैं, कि इस मंदिर के स्थान पर पूर्व में एक बौद्ध स्तूप होता था। उस स्तूप में गौतम बुद्ध का एक दांत रखा था। बाद में इसे इसकी वर्तमान स्थिति, कैंडी, श्रीलंका पहुंचा दिया गया।इस काल में बौद्ध धर्म को वैष्णव सम्प्रदाय ने आत्मसात कर लिया था, जब जगन्नाथ अर्चना ने लोकप्रियता हासिल की। यह दसवीं शताब्दी के लगभग हुआ, जब उड़ीसा में सोमवंशी राज्य चल रहा था।
  • महाराजा रणजीत सिंह, महान सिख सम्राट ने इस मंदिर को प्रचुर मात्रा में स्वर्ण दान किया था, जो कि उनके द्वारा स्वर्ण मंदिर, अमृतसर को दिये गये स्वर्ण से कहीं अधिक था। उन्होंने अपने अंतिम दिनों में यह वसीयत भी की थी, कि विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा, जो कि विश्व में अबतक भी सबसे मूल्यवान और सर्वाधिक बड़ा हीरा है, को इस मंदिर को दान कर दिया जाये। लेकिन यह सम्भव ना हो सका, क्योकि उस समय तक, ब्रिटिश ने पंजाब पर अपना अधिकार करके , उनकी सभी शाही सम्पत्ति जब्त कर ली थी। वर्ना कोहिनूर हीरा, भगवान जगन्नाथ के मुकुट की शान होता।