मंत्र जप में रखें ये सावधानियां, पूरी होगी सब मनोकामना

मंत्र जप में रखें ये सावधानियां, पूरी होगी सब मनोकामना

देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए या ग्रहों की शांति के लिए मंत्र जप को सबसे बेहतर उपाय माना गया है। मंत्रों को सिद्ध कर उनका जाप करने से मानव को विशेष फल की प्राप्ति होती है। मंत्रों को सनातन संस्कृति में विशेष शक्ति माना गया है। मंत्रों में शब्दों और उनकी आवृत्तियों का विशेष क्रम होता है और इसमें हर अक्षर का प्रतिनिधित्व देवता करते हैं। शास्त्रोक्त मान्यता है कि जब भी हम मंत्र का उच्चारण करते हैं वह देवी-देवता तक पहुंचते हैं और उसके बाद मंत्र जप का फल मानव को प्राप्त होता है। मंत्रों के उच्चारण में कुछ विशेष सावधानियां रखनी होती है, तभी उसका शुभ फल जातक को प्राप्त होता है।

मंत्र जप की सावधानियां
मंत्र का उसकी प्रकृति के अनुसार जप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि मंत्र जप के लिए सूर्योदय का समय सर्वश्रेष्ठ है। मानव जीवन में समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सूर्योदय के समय मंत्र जाप करना श्रेष्ठ रहता है। इसी तरह से वशीकरण के लिए दिन के पूर्व भाग में, उच्चाटन के लिए मध्य भाग में, शांतिकर्म के लिए दिन के आखिरी भाग में और मारण कर्ण के लिए संध्या का समय श्रेष्ठ माना जाता है।
मंत्र को संकल्प लेकर करने से सिद्धि प्राप्त होती है। इसके साथ ही रोजाना पूजा भी करना आवश्यक है। जिस ईष्टदेव का मंत्र जप कर रहे हैं उनकी जप से पहले पूजा करना आवश्यक है। बगैर ईष्टदेव की पूजा करने से जप का फल नहीं मिलता है। मत्र जप के समय एकाग्रता अति आवश्यक है। पैर फैलाकर बैठना, छींकना, क्रोध करना, जम्हाई लेना, कहीं ओर ध्यान लगाने से मंत्र जप का विपरीत फल मिलने की संभावना रहती है।


विभिन्न मालाओं से मिलते हैं ऐसे फल
मंत्र जाप के लिए अलग-अलग मालाओं का शास्त्रों में विधान बताया गया है। हाथ की अंगुलियों के पर्व, चावल, फूल, चंदन आदि से मंत्र जप की गणना नहीं करना चाहिए। शास्त्र के अनुसार जप में मणिमाला का उपयोग करना चाहिए। मणिमाला से मतलब कमलगट्टा, चंदन, रूद्राक्ष, तुलसी, शंख, स्फटिक, मोती आदि से है। कालीतंत्र के अनुसार शंखमाला से जप करने से सौ गुना फल मिलता है।
मूंगे की माला से हजार, स्फटिक की माला से दस हजार, मोती की माला से लाख, कमल गट्टे की माला से दस लाख, कुशा मूल की माला से सौ करोड़ और रुद्राक्ष की माला से जप करने से अनन्त गुना फल मिलता है। मंत्र जप के लिए गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ होते हैं। इसी तरह चैत्र, बैशाख, श्रावण, भाद्रपद, माघ, फाल्गुन ये छह महीने मंत्र जप में तुरंत सिद्धिदायक बताए गए हैं।