श्री पदमनाभास्वामी मंदिर

श्री पदमनाभास्वामी मंदिर

मान्यता है कि इस मंदिर को 6वीं शताब्‍दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था, जिसका जिक्र 9वीं शताब्‍दी के ग्रंथों में भी आता है। साल 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी की 'पद्मनाभ दास' बताया। इसके साथ ही त्रावणकोर राजघराने ने पूरी तरह से भगवान को अपना जीवन और संपत्ति सौंप दी है। बता दें कि 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने इस राज्‍य में राज किया था। फिलहाल मंदिर की देख-रेख का कार्य शाही परिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट संभाल रहा है।

कैसे पहुंचे
हिंदू आस्था से जुड़े इस प्रसिद्ध मंदिर तक पहुंचने के लिए रेल, सड़क और हवाई यात्रा का सहारा लिया जा सकता है। देश के लगभग सभी बड़े एयरपोर्ट से तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए हर रोज फ्लाइट है। अगर आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं तो देश के बड़े शहरों से तिरुवनंतपुरम रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। इसके जरिए आप तिरुवंदरम सेंट्रल, वर्कला शिवगिरी, तिरुवेंद्रम कोचुवेली, तिरुवनंतपुरम पेट्टा, कज्जाकुट्टम और त्रिवेंद्रम वेली रेलवेस्टेशन तक पहुंच सकते हैं। यहां से आसानी से पद्मनाभ मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
वहीं अगर आप बस से सफर करना चाहते हैं तो दिल्ली, मुंबई, चेन्नै और बेंगलुरु से बस की टाइमिंग पता करें और अपने लिए आसानी से टिकट बुक करें। इसके साथ ही कई बड़े शहरों से अलग-अलग रूट के जरिए बस से यात्रा की जा सकती है। बुकिंग के बाद आप तिरुवनंतपुरम बस स्टॉप तक की यात्रा कर सकते हैं। यहां से लोकल ट्रांसपोर्ट के जरिए मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

आरती समय
सुबह आरती
03:30 से 04 :30
विशेष आरती
06:30 से 07:00
दोपहर आरती
11:30 से 12:00
शाम आरती
06:00 से 06:30
शयन आरती
07:30