श्रीमद भागवद गीता- मनुष्यों को इन स्थितियों में हमेशा दुःख ही मिलता है

श्रीमद भागवद गीता- मनुष्यों को इन स्थितियों में हमेशा दुःख ही मिलता है

श्रीमद भागवद के एकादश स्कंध में श्रीकृष्ण कुछ ऐसे लोगों के विषय में बताते है, जिन्हें जीवन में दुख अधिक मिलते हैं। आइए जानते है कौन है वो लोग और क्यों मिलते है उन्हें अधिक कष्ट-

श्लोक

गां दुग्धदोहामसतीं च भार्यां
देहं पराधीनमसत्प्रजां च।
वित्तं त्वतीर्थीकृतमङ्ग वाचं
हीनां मया रक्षति दु:खदु:खी।।

अच्छा परिणाम न देना
इस श्लोक में श्रीकृष्ण ने बताया है कि जो गाय दूध नहीं देती है, वह सदैव अपने पालनहार से कष्ट ही प्राप्त करती है। वही गाय सुख प्राप्त करती है, जो दूध देती है। जो व्यक्ति अपने स्वामी या प्रबंधन या मालिक को श्रेष्ठ परिणाम नहीं देता है, उसे दुख ही दुख मिलते हैं। जो लोग अपने प्रबंधन की उम्मीदों को पूरा करते हैं और अच्छा परिणाम देते हैं, वे सुखी रहते हैं।
जीवनसाथी को धोखा देना
जो लोग जीवन साथी के प्रति ईमानदार नहीं रहते हैं और उसे धोखा देते हैं, वे कभी भी सुखी नहीं रह पाते हैं। ऐसे लोगों के मन में सदैव तनाव बना रहता है और गलत बातों के प्रकट होने का डर उसे सताता रहता है। ऐसे लोग दुख ही दुख प्राप्त करते हैं।
दूसरों पर निर्भर रहना
यदि कोई व्यक्ति दूसरों पर निर्भर रहता है और पराए घर में निवास करता है तो वह भी सुखी नहीं रह पाता है। ऐसे लोगों के जीवन में दुख ही दुख होता है, क्योंकि पराए घर में रहने वाले व्यक्ति खुद की इच्छा से कुछ भी काम नहीं कर पाता। उसे हर छोटे-बड़े काम के लिए अपने मालिक की ओर देखना पड़ता है।
संतान की अनदेखी करना
जब माता-पिता संतान की अनदेखी करते हैं, उचित देखभाल नहीं करते हैं तो उनकी संतान स्वभाव से दुष्ट हो सकती है। ऐसे में माता-पिता को हमेशा ही संतान की ओर से दुख ही मिलता है।
धन होने पर भी दान न करना
यदि किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त धन है और वह उसमें से कुछ हिस्सा दान नहीं करता है तो वह दुख प्राप्त करता है। शास्त्रों के अनुसार दान ही व्यक्ति के पुण्यों को बढ़ाता है और पापों को दूर करता है। इसीलिए जब भी कोई जरूरतमंद व्यक्ति दिखाई दे तो उसे अपने सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करना चाहिए।