05 Feb 2023 चंपा षष्ठी अगहन शुक्ल 6

चंपा षष्ठी मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान शिव के अवतार खंडोबा या खंडेराव को समर्पित है। खंडोबा को किसानों, चरवाहों और शिकारियों आदि का मुख्य देवता माना जाता है। यह त्योहार कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का प्रमुख त्यौहार है। मान्यता है कि चंपा षष्ठी व्रत करने से जीवन में खुशियां बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और आगे का जीवन सुखमय हो जाता है।


चंपा षष्ठी व्रत की विधि:
चंपा षष्ठी या बैंगन छठ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके शिव मंदिर में जाएं .
मंदिर में शिवलिंग पर दूध, फूल, बेल पत्र आदि चढ़ाएं.
भोलेनाथ का ध्यान कर शिव चालीसा का पाठ करें.
शाम के समय शिव मंदिर में तिल के तेल के 9 दीप जलाएं.
भोलेनाथ को बैंगन और बाजरा अर्पित करें और भोग लगाकर इन्हें गरीबों में बांट दें.
ॐ श्रीं अर्धनारीश्वराय प्रेमतत्त्वमूर्तये नमः शिवाय. इस मंत्र का 108 बार जाप करें

इस दिन व्रत और पूजा करने का महत्व -
इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से भक्तों के सारे पाप कट जाते हैं, उनकी सारी परेशानियों पर विराम लग जाता है, यही नहीं उसे सुख-शांति मिलती भी है और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि चंपा षष्ठी व्रत करने से जीवन में प्रसन्नता बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है। भगवान कार्तिकेय मंगल ग्रह के स्वामी हैं। मंगल को मजबूत करने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए।

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