01 Apr 2023 ऋषि पंचमी व्रत भाद्रपद शुक्ल 5


ऋषि पंचमी व्रत -

ऋषि पंचमी का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक माना जाता हैं. दोषों से मुक्त होने के लिए इस व्रत का पालन किया जाता हैं. यह एक त्यौहार नहीं अपितु एक व्रत हैं जिसमे सप्त ऋषि की पूजा की जाती हैं. हिन्दू धर्म में माहवारी के समय बहुत से नियम कायदों को माना जाता हैं. अगर गलती वश इस समय में कोई चूक हो जाती हैं, तो महिलाओं को दोष मुक्त करने के लिए इस व्रत का पालन किया जाता हैं.
ऋषि पंचमी व्रत पूजा महत्व :
हिन्दू धर्म में पवित्रता का बहुत अधिक महत्व होता हैं. महिलाओं के मासिक के समय वे सबसे अधिक अपवित्र मानी जाती हैं. ऐसे में उन्हें कई नियमो का पालन करने कहा जाता हैं लेकिन इसके बावजूद उनसे जाने अनजाने में चुक हो जाती हैं जिस कारण महिलायें सप्त ऋषि की पूजा कर अपने दोषों का निवारण करती हैं .
ऋषि पंचमी व्रत पूजा विधि:
इसमें औरते प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करती हैं.
स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं.
घर के पूजा गृह में गोबर से चौक पूरा जाता हैं एवम ऐपन से सप्त ऋषि बनाकर उनकी पूजा की जाती हैं.
कलश की स्थापना की जाती हैं.
दीप, दूप एवं भोग लगाकर व्रत की कथा सुनी,पढ़ी एवम सुनाई जाती हैं.
इस दिन कई महिलायें हल का बोया अनाज नहीं खाती. इसमें पसई धान के चावल खाये जाते हैं.
माहवारी के चले जाने पर इस व्रत का उद्यापन किया जाता हैं.
स्त्रियों में माहवारी का समय समाप्त होने पर अर्थात वृद्धावस्था में व्रत का उद्यापन किया जाता हैं.
ऋषि पंचमी उद्यापन विधि :
विधि पूर्वक पूजा कर इस दिन ब्राहमण भोज करवाया जाता हैं.
सात ब्रह्मणों को सप्त ऋषि का रूप मान कर उन्हें दान दिया जाता हैं.
अपनी श्रद्धानुसार दान का विधान हैं.
कहा जाता हैं महाभारत काल में उत्तरा के गर्म पर अश्व्थामा के प्रहार से उसका गर्भ नष्ट हो गया था. इस कारण उत्तरा द्वारा इस व्रत को किया गया. जिसके बाद उनका गर्भ पुनः जीवित हुआ और हस्तिनापुर को राजा परीक्षित के रूप में उत्तराधिकारी मिला. राजा परीक्षित अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र थे. पुन: जन्म मिलने के कारण इन्हें गर्भ में ही द्विज कहा गया था. इस तरह इस व्रत के पालन से उत्तरा गर्भपात के दोष से मुक्त होती हैं.

इस प्रकार दोषों की मुक्ति के साथ- साथ संतान प्राप्ति एवम सुख सुविधाओं की प्राप्ति, सौभाग्य के लिए भी इस व्रत का पालन किया जाता हैं.
इस व्रत का महत्व जानने के बाद सभी स्त्रियों को इस व्रत का पालन करना चाहिये. यह व्रत जीवन की दुर्गति को समाप्त कर पाप मुक्त जीवन देता हैं.आपको यह कैसा लगा अवश्य लिखे.

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