कछुआ नवरत्न पेंडल
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कछुआ नवरत्न पेंडल :
नवग्रहों के प्रमुख नौ रत्‍न माने गए हैं और इन ग्रहों के शुभ प्रभाव को पाने के लिए इनसे संबंधित रत्‍न धारण किए जाते हैं। नौ ग्रहों के नवरत्‍नों को एक ही सूत्र में पिरोकर बनाया गया है कछुआ नवरत्‍न पेंडल। हर ग्रह का अपना एक रत्‍न और उपरत्‍न है, जिसे धारण करने से उससे संबंधित ग्रह का शुभ फल प्राप्‍त होता है।
कुंडली में कोई ग्रह अशुभ फल देने लगता है और उससे संबंधित क्षेत्रों में समस्‍याएं और रुकावटें आने लगती हैं तो उस ग्रह के शुभ फल को पाने के लिए उसके रत्‍न को धारण किया जाता है। नौ ग्रहों के नौ अलग-अलग रत्‍न हैं और किसी की कुंडली में दो या तीन रत्‍न पीडित हैं तो उसे दो-तीन रत्‍न धारण करने पड़ते हैं। किंतु कछुआ नवरत्‍न पेंडल से आप सभी नौ ग्रहों की कृपा एकसाथ प्राप्‍त कर सकते हैं। इस पेंडल में सभी नौ ग्रहों के रत्‍न जिन्‍हें नवरत्‍न भी कहा जाता है वो एकसाथ जडित हैं। नवरत्‍नों को बहुत शुभ और मंगलकारी माना जाता है और ये सुख, सेहत, शांति, मानसिक संतुलन प्रदान करते हैं। ये आपको नकारात्‍मक ऊर्जा से रक्षा प्रदान कर आपको अशुभ ग्रहों के प्रभाव से बचाकर उसका शुभ फल प्रदान करते हैं।

कछुआ नवरत्न पेंडल के लाभ :

  • इस पेंडल को धारण करने से अशुभ ग्रहों का कुप्रभाव कम होता है और कुंडली में शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है।
  • शत्रुओं को परास्‍त करने, करियर में सफलता पाने और जीवन को शांतिमय बनाने के लिए आप इस नवरत्‍न पेंडल को पहन सकते हैं।
  • पारिवारिक शांति के लिए इस पेंडल को जरूर धारण करें।
  • कछुआ नवरत्‍न पेंडल कई तरह के रोगों से भी छुटकारा दिलाता है। अगर आपको हमेशा कोई ना कोई रोग घेरे रहता है तो आपको इस पेंडल को पहनने से बहुत लाभ मिलेगा।
  • ये दुर्भाग्‍य, खतरे और जीवन में आने वाली समस्‍याओं से भी बचाता है।
  • आपके जीवन को सुखमस और संपन्‍न बनाने में इस पेंडल का अहम योगदान होता है।


वास्तु शास्त्र में कछुआ का महत्व :

  • कछुए को वास्तुशास्त्र में बेहद शुभ माना गया है।
  • यह पेंडल व्यक्ति के जीवन के कई दोषों को शांत करता है।
  • इसका सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि यह आपके आत्मविश्वास को बनाए ही नहीं रखता बल्कि उसे बढ़ाता भी है। यानि आत्मविश्वास है तो सबकुछ पॉजीटिव और बेहद अच्छा होगा।
  • शास्त्रों के मुताबिक कछुआ जल और थल दोनों में रहने वाला प्रतीक है। इस कारण यह सकारात्मकता और उन्नति का प्रतीक है।
  • हिन्दू शास्त्रों में कछुआ भगवान विष्णु का अवतार भी है।
  • समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के मुताबिक कछुआ समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था और मां लक्ष्मी भी वहीं से आई थीं।
  • इसीलिए वास्तु शास्त्र में कछुए को इतना महत्व प्रदान किया जाता है।
  • कछुए को देवी लक्ष्मी के साथ जोड़कर धन बढ़ाने वाला माना गया है।
  • इसके अलावा यह जीव धैर्य, शांति, निरंतरता और समृद्धि का भी प्रतीक है।


धारण विधि :
इसे शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन धारण किया जाता है. मान्यता है कि इसे सूर्योदय के बाद एक घंटे के अंदर अंदर ही धारण करना चाहिए. इसे रविवार के दिन भी धारण किया जा सकता है.

 

नियम एवं शर्तें -
1- Kachua Navratna Pendal.
2- Size 5 cm x 3.5 cm.
3- इसके साथ लाल धागा धारण करने हेतु आएगा.
4- सम्पूर्ण भारत में डिलीवरी फ्री रहेगी.
5- डिलीवरी 5-7 कार्य दिवसों में होगी.

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