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जानें क्यों महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में
हर रोज की जाती है भस्म आरती

देश में स्थापित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना इतिहास और महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की 5 तरह से आरती की जाती है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है 'भस्म आरती'। जी हां, देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में हर रोज भस्म आरती की जाती है। भस्म से ही शिवलिंग का हर रोज श्रृंगार किया जाता है।


भस्म आरती का रहस्य-
पुराणों के मुताबिक, काफी सालों पहले उज्जैन में महाराज चंद्रसेन का शासन था। वह भगवान शिव के परम उपासक थे। वहां की प्रजा भी भगवान शिव को पूजती थी। एक बार राजा रिपुदमन ने चंद्रसेन के महल पर आक्रमण किया और राक्षस दूषण के जरिए वहां की प्रजा को बहुत प्रताड़ित किया। प्रजा ने मदद के लिए भगवान शिव से गुहार लगाई। प्रजा की गुहार भगवान शिव ने सुनी और स्वयं दुष्ट राक्षस का वध किया। सिर्फ इतना ही नहीं, भगवान शिव ने दूषण की राख से अपना श्रृंगार किया और वह हमेशा के लिए वहां बस गए। इस तरह से उस जगह का नाम महाकालेश्वर पड़ा और भस्म आरती की शुरू हुई। ऐसी मान्यता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है। यही कारण है कि यह आरती महाकालेश्वर में सुबह 4 बजे की जाती है।

कैसे तैयार की जाती है भस्म -
शिवपुराण के अनुसार, भस्म तैयार करने के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बैर के पेड़ की लकड़ियां, अमलतास और बड़ को एक साथ जलाया जाता है। इसे जलाते वक्त पुजारी मंत्रोच्चार भी करते हैं। इसके बाद उस भस्म को एक कपड़े से छान लिया जाता है। ऐसे तैयार की गई भस्म भगवान शिव को अर्पित की जाती है।