56 भोग में सबसे पहले कान्हा को क्यों चढ़ती है धनिए की पंजीरी, जानिए इसका वैज्ञानिक कारण |
कृष्ण जन्माष्टमी की धूम देशभर में देखने को मिल इस दिन कृष्ण जी का जन्म हुआ था। रात 12 बजे कुष्ण जी का जन्म होने के बाद धनिए की पंजीरी का प्रसाद बांटा जाता है। इस दिन इस प्रसाद को चढ़ाने की पीछे धार्मिक के साथ वैज्ञानिक मत भी है। आइए, जानें धनिया पंजीरी के भोग से आपकी सेहत को कौन कौन से बेहतरीन फायदे मिलेंगे
![]() क्या है वैज्ञानिक तर्क कृष्ण जन्माष्टमी पर धनिए की पंजीरी बनाने की परंपरा है। भारतीय व्यंजनों के अहम मसालों में से एक है धनिया। जन्माष्टमी का मुख्य प्रसाद धनिया पंजीरी ही होती है। इसकी वजह है वर्षा ऋतु में वात का प्रकोप, कफ कर शमन और पित्त का संचय होता है। वात प्रभावित लोगों में वायु एवं जल जनित लोगों की आशंका बढ़ी हुई रहती है। वात के प्रकोप से नाड़ी तंत्र प्रभावित हो सकता है। शरीर में कहीं भी जल एवं वायु का दबाव घट-बढ़ सकता है। इससे स्वास्थ्य-समस्या और कुरूपता दोनों ही बढ़ सकती है। धनिया इससे बचाव में अत्यंत कारगर और विष नाशक है। धनिया बारिश में जल के दूषित होने से शरीर में बढ़े विषैले तत्वों का नाश करता है। कृष्ण जन्माष्टमी पर श्रृद्धालु व्रत रखने से भूखे रहते हैं। रात्रि 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह समय सामान्यतः कुछ भी खाने योग्य नहीं होता। ऐसे में यदि कोई गलत आहार ले तो वह स्वास्थ्य पर गंभीर नकारामक प्रभाव छोड़ सकता है। धनिया पंजीरी मीठी और सुस्वाद होकर भी कफ एवं वात के दोष नहीं बढ़ाती है। इसके विपरीत सामान्य आटा पंजीरी या अन्य मीठे पदार्थ से व्रत पूर्ण किया जाए तो वह स्वास्थ्य के लिए अहितकर हो सकता है। वर्षा ऋतु में सामान्य तौर पर भी इसका सेवन किया जाना लाभदायक होता है। सेहत के लिए फायदेमंद -
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