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25 जुलाई 2020 , श्रावण शुक्ल 5
नागपंचमी
नागपंचमी
नाग पंचमी का त्यौहार नागों का त्यौहार होता है. भारत, नेपाल और अन्य देशों में जहाँ हिन्दू धर्म के अनुयायी रहते हैं वे सभी इस दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा करते है, और परिवार के कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद की मांग की जाती है. इस दिन नाग देवता के दर्शन किये जाते हैं, जिसका लोगों के बीच बहुत महत्व है इसके पीछे कुछ पौराणिक कथाएं भी छिपी हुई है. यहाँ नागपंचमी महत्व, पौराणिक कथा एवं व्रत पूजा विधि के बारे में सभी जानकारी एकत्र की गई हैं, जिसे पढ़कर आप नाग पंचमी के बारे में जानकर पूजा कर सकते हैं
नाग पंचमी महत्त्व
नाग पंचमी का त्यौहार सावन में मनाया जाता हैं. श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा की जाती हैं. किन्तु भारत के कुछ स्थानों पर नाग पंचमी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी मनाई जाती है, और कुछ जगह पर जैसे गुजरात में कृष्ण जन्माष्टमी के 3 दिन पहले और बहुला चौथ व्रत के अगले दिन नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस तरह से नाग पंचमी का त्यौहार का महत्व अलग – अलग स्थान के लोगों में अलग – अलग है. वे अपने रीतिरिवाजों के अनुसार इसे मनाते हैं. इस दिन नाग देवता के दर्शन करना शुभ माना जाता है.
नाग पंचमी का त्यौहार मनाने का तरीका
रिवाजानुसार इस दिन नाग यानि सर्प को दूध पिलाया जाता हैं. गाँव में नाग पंचमी के दिन मेला सजता हैं जिसमें झूले लगते हैं. पहलवानी का खेल कुश्ती भी नाग पंचमी की एक विशेषता हैं. कई स्थानों पर नाग पंचमी के दिन विवाहित बेटियों को मायके में बुलाया जाता हैं. उनके परिवार को भोजन करवा कर दान दिया जाता हैं. साथ ही खेत के मालिक अन्य पशुओं जैसे बैल, गाय भैस आदि की भी पूजा करते हैं. साथ ही फसलों की भी पूजा की जाती है.
नाग पंचमी पर पौराणिक कथा
नगर का एक सेठ था उसके चार पुत्र थे. सभी का विवाह हो चूका था. तीन पुत्र की पत्नियों का मायका बहुत सम्पन्न था. उसे धन धान की कोई कमी ना थी, लेकिन चौथी के परिवार में कोई नहीं था, उसका विवाह किसी रिश्तेदार ने किया था. अन्य तीन बहुए अपने घरों से कई उपहार लाती थी और छोटी बहु को ताने मारती थी. लेकिन छोटी बहु स्वाभाव से बहुत अच्छी थी उस पर इन बातों का प्रभाव नहीं पड़ता था.
एक दिन बड़ी बहु से सभी बहुओं को साथ चल कर कुछ पौधे लगाने को कहा गया. सभी साथ गई और बड़ी बहु ने खुरपी से गड्डा करने के लिए जैसे ही खुरपी को उठाया. उस वक्त वहां एक सर्प आ गया उसने उसे मारने की सोची, लेकिन छोटी बहु ने उसे रोक दिया कहा -दीदी यह बेजुबान जानवर हैं इसे ना मारे. तब सर्प की जान बच गई. कुछ वक्त बाद सर्प छोटी बहु के स्वपन में आया और उसने उससे कहा तुमने मेरी जान बचाई, इसलिए तुम जो चाहों मांग लो तब छोटी बहु ने सर्प को उसका भाई बनने को कहा. सर्प ने छोटी बहु को अपनी बहन स्वीकार किया.
कुछ दिनों बाद सारी बहुयें अपने- अपने मायके गई और वापस आकर छोटी बहु को ताना मारने लगी. तभी छोटी बहु को उस स्वपन का ख्याल आया और उसने मन ही मन सर्प को याद किया.
एक दिन वह सर्प मानव रूप धर के छोटी बहु के घर आया और उसने सभी को यकीन दिलाया कि वो छोटी बहु का दूर का भाई हैं, और उसे अपने साथ मायके ले जाने आया. परिवार वालो ने उसे जाने दिया. रास्ते में सर्प ने छोटी बहु को अपना वास्तविक परिचय दिया, और उसे शान से घर लेकर गया. जहाँ बहुत धन धान्य था. सर्प ने अपनी बहन को बहुत सा धन, जेवर देकर मायके भेजा. जिसे देख बड़ी बहु जल गई और उसने छोटी बहु के पति को भड़काया और कहा कि छोटी बहु चरित्रहीन हैं. इस पर पति ने छोटी बहु को घर से निकालने का निर्णय लिया. तब छोटी बहु ने अपने भाई सर्प को याद किया. सर्प उसी वक्त उसके घर आया और उसने सभी को कहा कि अगर किसी ने मेरी बहन पर आरोप लगाया तो वो सभी को डस लेगा. इससे वास्तविक्ता सामने आई और इस प्रकार भाई ने अपना फर्ज निभाया. तब ही से सर्प की पूजा सावन की शुक्ल पंचमी के दिन की जाती हैं. लडकियाँ सर्प को अपना भाई मानकर पूजा करती हैं. धन्य धान की पूर्ति हेतु भी सर्प की पूजा की जाती हैं.
नाग पंचमी व्रत विधान
नाग पंचमी सावन की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती हैं, उस समय कई लोग सावन के व्रत करते हैं. जिसमें कई लोग धन धान्य की ईच्छा से नाग पंचमी का व्रत करते हैं. इस दिन नाग देवता के मंदिर में श्री फल चढ़ाया जाता हैं.
‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ श्लोक का उच्चारण कर सर्प का जहर उतारा जाता हैं, और सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं.