हिन्दी पंचांग कैलेंडर
05 जून 2020 , ज्येष्ठ शुक्ल 14
वट सावित्री
वट सावित्री व्रत -
पांच वटों से युक्त स्थान को पंचवटी कहा गया है. कहते हैं कि कुंभजमुनी के परामर्श भगवान श्री राम ने सीता एवं लक्ष्मण के साथ वनवास काल में यहां निवास किया था. हानिकारक गैसों को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करने में वृक्ष का विशेष महत्व है.
मान्यता है कि वटवृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और अग्रभाग में शिव रहते हैं. इसीलिए वट वृक्ष को देव वृक्ष कहा गया है. देवी सावित्री भी वट वृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं. इसी अक्षय वट के पत्र पर प्रलय के अंतिम चरण में भगवान ने बाल रूप में मार्कंडेय ऋषि को प्रथम दर्शन दिया था.
प्रयागराज में गंगा के तट पर वेणीमाधव के निकट अक्षय वट प्रतिष्ठित है. भक्त शिरोमणि तुलसीदास ने संगम स्थित अक्षय वट को तीर्थराज का छत्र कहा है. इसी प्रकार पंचवटी का भी विशेष महत्व है. पांच वटों से युक्त स्थान को पंचवटी कहा गया है. कहते हैं कि कुंभजमुनी के परामर्श से भगवान श्रीराम ने सीता एवं लक्ष्मण के साथ वनवास काल में यहां निवास किया था. हानिकारक गैसों को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करने में वृक्ष का विशेष महत्व है.