दीपावली पर लक्ष्मी गणेश पूजा विधि |
हमारा देश त्योहारों का देश है और इसमें सबसे धूम धाम से दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन विशेष रूप से श्री गणेश जी एवं माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है | दीपावली की पौराणिक कथा और महत्व भी महिमा पूर्ण है | माँ लक्ष्मी धन की देवी है तो श्री गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है | आइये जाने गणेश लक्ष्मी की पूजन विधि के बारे में | |
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कैसे करे लक्ष्मी गणेश की पूजा माँ लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत उनके वस्त्र से करें। उनकी पसंदीदा रंग लाल, गुलाबी और पीला है। उनके लिए वस्त्र खरीदते हुए ध्यान रखें कि आप इस रंग के वस्त्र जरूर खरीदें। उनके स्थान को शुद्ध जल से धोकर सुगंधित करने के लिए केवड़ा, गुलाब और चंदन के इत्र का इस्तेमाल करें। दिवाली की पूजा शुरू करने से पहले ध्यान रखें कि आपके पास वो चीजें हो जो मां लक्ष्मी को प्रसन्न करती हो । इन्हे लाल रंग के पुष्प , श्वेत मिठाइयाँ , कमल के फूल अति प्रिय है । लक्ष्मी पूजा की शुरुआत उनके वस्त्र से करें। उनकी पसंदीदा रंग लाल, गुलाबी और पीला है। उनके लिए वस्त्र खरीदते हुए ध्यान रखें कि आप इस रंग के वस्त्र जरूर खरीदें। इसके बाद फूलों की बात करें तो कमल और गुलाब मां लक्ष्मी के प्रिय फूल हैं। पूजा में फलों का भी खास महत्व होता है। फलों में उन्हें श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े पसंद आते हैं। आप इनमें से कोई भी फल पूजा के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। माता के स्थान को सुगंधित करने के लिए केवड़ा, गुलाब और चंदन के इत्र का इस्तेमाल करें। अनाज रखना हो तो चावल रखें वहीं मिठाई में मां लक्ष्मी की पसंद शुद्ध केसर से बनी मिठाई या हलवा, शीरा और नैवेद्य है। दीये के लिए आप गाय के घी, मूंगफली या तिल्ली के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मां लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करते हैं। पूजा के लिए अहम दूसरी चीजों में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र शामिल हैं। पूजा की तैयारी: सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजा करने वाले मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अलावा एक दीपक गणेशजी के पास रखें | मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं और गणेश को दूर्वा चढ़ाये । ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचों बीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक। इन थालियों के सामने पूजा करने वाला बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। |