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भगवान शिव की पूजा में
भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीजें

भगवान शिव बहुत ही भोले हैं वे सिर्फ भक्त के भाव के भूखे हैं अगर कोई भक्त सच्चे मन से उन्हें कुछ भी अर्पित कर देता है तो वे अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए तो उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। परन्तु कुछ ऐसी वस्तुएं भी हैं जो शिव की पूजा में वर्जित मानी गई है। हमें इन चीजों को भगवान शिव को कभी भूलकर भी अर्पित नहीं करना चाहिए।



केतकी का फूल शिव को कभी भूलकर भी अर्पित न करें। यह शिव की पूजा में पूर्णतया वर्जित है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब भगवान शिव नें ब्रह्मा और विष्णु को ज्योतिर्लिंग का सिरा और अंत ढूंढने को कहा था। तब ब्रह्मा जी ने शिव से झूठ कहा था कि उन्होंने लिंग का अंत ढूंढ लिया है। और केतकी के फूल को साक्षी बनाया था। इसी झूठ से रूष्ट होकर भगवान शिव ने केतकी के फूल को अपनी पूजा में वर्जित कर दिया था।
शंखचूड़ नाम का एक दैत्य था। जिसके अत्याचारों से सभी देवता परेशान थे। भगवान शिव ने अपने त्रिशुल से उस राक्षस का वध किया था। जिसकी भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई। इसलिए शिव जी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है।
तुलसी के पत्तों को औषधिय गुणों से भरपूर माना जाता है। इन्हें बहुत ही पवित्र माना गया है इसलिए तुलसी को पूजा जाता हैं लेकिन शिव जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। तुलसी के पति जांलधर जो एक असुर था, भगवान शिव ने उसका अंत किया था जिसके कारण तुलसी ने शिव जी को अपने औषधिय गुणों से उन्हें वंचित कर दिया।
कुमकुम या सिंदूर सुहाग की निशानी होता है। इसलिए सिंदूर माता पार्वती को अर्पित कर सकते हैं लेकिन भगवान शिव को चंदन या भस्म का टीका लगाना चाहिए। भगवान शिव को सिंदूर न चढ़ाने का एक कारण यह भी माना जाता है कि शिव विनाशक हैं। जबकि स्त्रियां अपने पति की लंभी आयु के लिए भगवान को सिंदूर अर्पित करती हैं।