जनेऊ धारण करने के हैं कई फायदे, जानें वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व |
हिंदू धार्मिक शास्त्रों में यज्ञोपवीत संस्कार का बहुत अधिक महत्व होता है। जनेऊ संस्कार हिन्दू धर्म के प्रमुख 24 संस्कारों में से एक है, यह 'उपनयन संस्कार' के अंतर्गत आता है। हिंदू धर्म में प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य है, जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है।
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क्या है जनेऊ? सूत से बना पवित्र धागा होता है जनेऊ, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर और दाईं भुजा के नीचे पहनता है। जनेऊ संस्कार में टॉयलेट के कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका वैज्ञानिक महत्व भी है। हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की दिक्कत दूर होती है रिसर्च के अनुसार जनेऊ पहनने वाले लोगों को हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की दिक्कत नहीं होती है। जनेऊ से शरीर में खून का प्रवाह सही तरीके से होता रहता है। आध्यात्मिक ही नहीं इसका वैज्ञानिक आधार भी है, जैसे रिसर्च के अनुसार बताया गया है कि जनेऊ पहनने से हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की दिक्कत नहीं होती है। कान पर जनेऊ रखने से स्मरण शक्ति बेहतर होती है नित्य कान पर जनेऊ रखने से स्मरण शक्ति बेहतर होती है। कान पर दबाव पड़ने से दिमाग की वे नसें खुल जाती हैं, जिनका संबंध स्मरण शक्ति से होता है। इस बात को वैज्ञानिक भी मानते हैं कि शौच के समय कान पर जनेऊ रखने का वैज्ञानिक आधार भी है। रक्तचाप नियंत्रण में रहता है शौच के समय जनेऊ कान के पास रखने से जो नसें दबती हैं, उनसे रक्तचाप नियंत्रण में रहता है और ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है। रिसर्ज में ये बात सामने आई है कि शौच के समय जनेऊ कान के पास रखने का भी वैज्ञानिक आधार है, जैसा बताया गया है कि ऐसा करने से रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। |