- दीपक प्रकाश का प्रतीक है। दीपक जलाने से अंधकार दूर होता है, हिंदू धर्म की मान्यताओं में अंधकार को नकारात्मक तत्व के रुप में माना जाता है। दीपक नकारात्मक उर्जा को नष्ट करके सकारात्मक ऊर्जा का फैलाता है।
- दीपक का काम प्रकाश फैलाना है। प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। वह ऊर्जा जो सब कष्ट और दुखों का अंत करती है। इससे हमारी श्रद्धा ही नहीं बल्कि मानसिक संतुष्टि मिलती है। शास्त्रों में कहा गया है ‘असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमया। मृत्योर्मामृतं गमय॥ ॐ शांति शांति शांति।’ इन पंक्तियों का भाव ही अंधेरे से उजाले में जाना है। अर्थात मनुष्य सब दोषों को त्याग शुभ कार्यों की तरफ रुख करता है।
- दीप प्रवज्जलन से निकलने वाले तत्व घर में हानिकारक विषाणुओं का नाश करके वातावरण शुद्ध करते हैं। जब घर में शुद्ध सरसों के तेल या घी का दीपक जलाया जाता है तो उसके धुएं से घर के माहौल में सात्विक्ता आती है।यदि दीपक के साथ एक लौंग भी लगा दी जाए तो यह औषधी की भांति काम करता है।
- माना जाता है कि तेल से जले दीपक का असर उसके बुझने के आधा घंटे बाद तक रहता है और घी के दीपक का प्रभाव करीब चार घंटे तक रहता है। गाय के दूध से बने घी का दीपक जलाना सबसे ज्यादा लाभदायक है। घी में चर्मरोग दूर करने के सारे गुण होते हैं।
- जिस दीपक को प्रवज्जलित कर रहे हैं वह कहीं से भी टूटी-फूटी ना हो। धार्मिक अनुष्टानों में खंडित वस्तु शुभ नहीं मानी जाती। दीपक की बाती इस प्रकार से व्यवस्थित हो ताकि वह पूजा के बीच में ना बुझे और पूजा खत्म होने तक चलता रहे। पूजा में एक दीपक से दूसरा दीपक जलाना भी शुभ नहीं माना जाता।
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