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जानें- क्या है पूजा में आरती का महत्व और नियम

भगवान की पूजा से मन को शांति और आत्मा को तृप्ति मिलती है. पूजा-पाठ और साधना में इतनी शक्ति होती है कि ये सभी मनोकामना पूर्ण कर सकती है. सच्चे मन से की गई ईश्वर की आराधान चिंताओं को दूर कर एक असीम शांति का एहसास कराती है. लेकिन पूजा के दौरान ईश्वर की आराधना तब तक पूरी नहीं होती, जब तक भगवान की आरती ना की जाए. शास्त्रों में पूजा में आरती का खास महत्व बताया गया है. माना जाता है कि सच्चे मन और श्रृद्धा से की गई आरती बेहद कल्याणकारी होती है. आरती के दौरान गई जाने वाली स्तुति मन और वातावरण को शुद्ध और पवित्र कर देती है.



अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता लेकिन आरती कर लेता है, तो भगवान उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं. आरती का धार्मिक महत्व होने के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है. रोज प्रात:काल सुर-ताल के साथ आरती करना सेहत के लिए भी लाभदायक है. गायन से शरीर का सिस्टम सक्रीय हो जाता है. इससे असीम ऊर्जा मिलती है. रक्त संचार संतुलित होता है. आरती की थाल में रुई, घी, कपूर, फूल, चंदन होता है. रुई शुद्घ कपास होता है. इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती है. इसी प्रकार घी भी दूध का मूल तत्व होता है. कपूर और चंदन भी शुद्घ और सात्विक पदार्थ है. जब रुई के साथ घी और कपूर की बाती जलाई जाती है, तो एक अद्भुत सुगंध वातावरण में फैल जाती है. इससे आस-पास के वातावरण में मौजूद नकारत्मक उर्जा भाग जाती है और वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार होने लगता है.