कब होगा आपका विवाह क्या कहते हैं ज्योतिष के सूत्र |
विवाह समय के संबंध में कुंडली पर कुछ शोधकार्य भी हुआ है। मोटे रूप में विवाह की अवस्था (18 से 28 के लगभग) में जब शनि और बृहस्पति दोनों सप्तम भाव और लग्न को देखते हों या गोचरवश इन भावों में आ जाएं तो उस अवधि में अवश्य विवाह होता है।
|
![]() |
सप्तमेश की दशा-अंतरदशा भी विवाह के लिए सबसे अनुकूल समय है। शुक्र और बृहस्पति की दशा-अंतरदशा भी विवाह सुख प्रदान करती है। मांगलिक लड़के-लड़कियों का और लग्न में शनि होने पर विवाह में विलंब हो सकता है। ऐसी अवस्था में लड़कियां भी 27-28 वर्ष तक कुंआरी रह सकती है। प्राय: पहली बातचीत या सगाई छूटती है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह की दशा में, सप्तम भाव को देखने वाले ग्रह की दशा-अंतरदशा में विवाह होते देखा गया है। एक बात और... शनि की साढ़े साती विवाह में बाधक नहीं होती, साढ़े साती में खूब विवाह हुए हैं। लग्नेश और सप्तमेश के स्फुट (राशि-अंश कला) को जोड़ देने से कई राशि-अंश प्राप्त होंगे। उस राशि-अंश में जब गोचर का बृहस्पति आएगा, तब विवाह होगा। फलदीपिका के ये 2 सूत्र भी विवाह समय जानने के लिए खरे उतरते हैं। जब लग्नेश गोचरानुसार सप्तम भावस्थ राशि में आता है, तब विवाह होता है। जब गोचर का शुक्र या सप्तमेश लग्नेश की राशि या लग्नेश के नवांश से त्रिकोण में जाता है, तब विवाह होता है। |