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श्री महाशिवरात्रि व्रत पूजन विधि

‘शिवरात्रि’ भगवान शिव और माँ पार्वती के मिलन का महापर्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने में मनाया जाने वाला यह पर्व हिन्दू धर्म में काफ़ी प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है की गंगा स्नान कर भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्तो और साधकों को इच्छित फल, धन, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। हिन्दुओं द्वारा पूरी साधना से मनाया जाने वाला यह महापर्व शिव जी की शादी के लिए प्रसिद्ध है।
महाशिवरात्रि व्रत का सबसे प्रमुख भाग इसका उपवास है। इस दिन शिव भगवान के भक्तों का जमावड़ा शिव मंदिर में लगता है जहाँ सरे भक्तजन शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन करते हैं और रात्रि में शिव जी की आरती का जागरण करते हैं। भक्तगणों द्वारा शिवलिंग पूजा में बेल-पत्र चढ़ाना, उपवास और रात्रि जागरण करना अनिवार्य है। इसी दिन रात्रि में भक्तों द्वारा भगवान शिव की बारात निकली जाती है ऐसा माना जाता है कि इसी दिन शिव जी और माँ शक्ति की शादी हुई थी। इस दिन केवल एक समय का भोजन अर्थात फल का सेवन कर सकते है। कई सारे भक्त इस दिन निर्जला उपवास रखते है। महाशिवरात्रि को रात्रि जागरण करने वाले भक्तों को मन्त्र उच्चारण, शिव आरती अथवा शिव आराधना करना चाहिए।


शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर 'ॐ नमः शिवायः' मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रातःकाल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
व्रत का विधान -
नित्य नैमित्यक क्रिया शौचादि से निवृत्ति के वाद व्रत का संकल्प,पूजन हवन, शिव अभिषेक नमक-चमक से, ब्रह्मचर्य का पालन, अक्रोध, श्रद्धा भक्ति।
पूजा सामग्री -
सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भाँग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, पंच फल पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, शिव व माँ पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुश-आसन आदि।
व्रत व पूजा के मंत्र -
ॐ नमः शिवाय का जाप या मनन श्रद्धा व ध्यान से।