हिन्दी पंचांग कैलेंडर
अमरनाथ गुफा पहुंचने से पहले इन पड़ावों से गुजरे थे महादेव,
बेहद रोचक है कहानी

अमरनाथ गुफा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। ग्रंथों के अनुसार, इसी जगह पर महादेव ने देवी पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। बाबा बर्फानी की गुफा तक का सफर तय करते समय कई पहाड़ों, नदियों और झरनों को पार करना पड़ता है। मान्यताओं के अनुसार, जितना महत्व अमरनाथ गुफा के दर्शन करने का है, उतना ही महत्व इसके रास्ते का भी है।
अमरनाथ यात्रा के दौरान 5 मुख्य पड़ाव आते हैं। इन सभी पड़ावों का संबंध स्वयं महादेव से माना जाता है। कहीं पर भोलेनाथ ने नंदी का त्याग किया तो कहीं अपने प्रिय पुत्र गणेश से विदा ली। आखिर क्यों अमरनाथ गुफा पहुंचने से पहले ही भगवान शिव ने अपने सभी प्रियजनों का त्याग कर दिया और इन पांचों पड़ावों से उनका क्या संबंध है, चलिए जानते हैं।
क्यों किया अपनों का त्याग
अमर कथा सुनने वाला हर व्यक्ति, पशु-पक्षी, जीव-जंतु हमेशा के लिए अमर हो जाता है। ऐसे में महादेव, देवी पार्वती के सिवा किसी को अमर कथा नहीं सुना सकते थे। इसीलिए महादेव ने कथा सुनाने के लिए अमरनाथ की गुफा चुनी ताकि ये बात कोई और न जान सके। साथ ही गुफा का सफर तय करते हुए रास्ते में अपने सभी प्रियजनों का त्याग कर दिया।
पहला पड़ाव- पहलगाम
अमरनाथ के पांच मुख्य पड़ावों में पहला पड़ाव है पहलगाम। यहां पर भोलेनाथ ने नंदी का त्याग किया था। जम्मू से 315 किलोमीटर दूर स्थित पहलगाम प्राकृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। अमरनाथ यात्री जम्मू-कश्मीर से पहलगाम तक के लिए बस या प्राइवेट गाड़ी ले सकते हैं। यहां पहुंचने के बाद तीर्थयात्रियों की पैदल यात्रा शुरू होती है।
दूसरा पड़ाव- चंदनबाड़ी
पहलगाम के बाद दूसरा पड़ाव है चंदनबाड़ी। पहलगाम से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित चंदनबाड़ी में भोलेनाथ ने अपने शीश पर स्थित चंद्रमा को त्यागा था। सामान्य तौर पर यात्री यहां रात बिताते हैं और अगले दिन आगे की यात्रा शुरू करते हैं।
तीसरा पड़ाव- शेषनाग
चंदनबाड़ी से लगभग 12 किलोमीटर दूर तीसरा पड़ाव मौजूद है, जिसे शेषनाग कहा जाता है। यहां पर महादेव ने अपने गले में निवास करने वाले शेषनाग का त्याग किया था। कहते हैं यहां मौजूद झील में आज भी शेषनाग का वास है। कई यात्री यहां रात का विश्राम करते हैं और फिर अगले दिन पुन: यात्रा शुरू करते हैं।
चौथा पड़ाव- महागुणास चोटी
शेषनाग से लगभग 4-5 किलोमीटर दूर स्थित महागुणास चोटी यात्रा का चौथा पड़ाव है। यहां महादेव ने अपने पुत्र भगवान श्रीगणेश को छोड़ा था। यहां कई झरने बहते हैं और मौसम काफी ठंडा रहता है।
पांचवा पड़ाव- पंचतरणी
महागुणास चोटी से लगभग 6 किलोमीटर दूर पांचवा और अंतिम पड़ाव मौजूद है। पंचतरणी के नाम से प्रसिद्ध इस जगह पर महादेव ने पांचों तत्वों का परित्याग किया था। यहां का रास्ता काफी उतार-चढ़ाव से भरा है। इस जगह पांच छोटी-छोटी नदियां बहती हैं, जिसके चलते इसका नाम पंचतरणी पड़ा।
फिर आती है अमरनाथ की गुफा
इन पांचों पड़ावों को पार करने के बाद महादेव अमरनाथ की गुफा पहुंचे और देवी पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। चारों ओर बर्फ से घिरी ये जगह स्वर्ग की तरह दिखाई देती है। मान्यताओं के अनुसार, यहां आज भी महादेव निवास करते हैं।पिस्सु घाटी में किया था युद्ध
दूसरे पड़ाव चंदनबाड़ी के पास पिस्सु घाटी नामक एक जगह है। इसे लेकर कहा जाता है यहां देवताओं और राक्षसों के बीच घमासान लड़ाई हुई थी, जिसमें राक्षसों को हराने के लिए महादेव ने भी युद्ध किया था।
अमरनाथ यात्रा के दौरान पार की जाने वाली हर जगह किसी न किसी रूप में महादेव से जुड़ी है, इसलिए ये स्थान भोलेनाथ का प्रिय माना जाता है।