1 चुटकी चावल और मंत्र बना सकते हैं भाग्यशाली और धनवान |
चावल यानी अक्षत हमारे ग्रंथों में सबसे पवित्र अनाज माना गया है। अगर पूजा पाठ में किसी सामग्री की कमी रह जाए तो उस सामग्री का स्मरण करते हुए चावल चढ़ाए जा सकते हैं। किसी ना किसी सामग्री को किसी ना किसी भगवान को चढ़ाना निषेध है जैसे तुलसी को कुंकु नहीं चढ़ता और शिव को हल्दी नहीं चढ़ती।
गणेश तो तुलसी नहीं चढ़ती तो दुर्गा को दूर्वा नहीं चढ़ती लेकिन चावल हर भगवान को चढ़ते हैं। ![]() पढ़ें चावल से जुड़ी कुछ खास जानकारियां :
मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥ अन्न में अक्षत यानि चावल को श्रेष्ठ माना जाता है। इसे देवान्न भी कहा गया है। देवताओं का प्रिय अन्न है चावल। इसे सुगंधित द्रव्य कुंकुम के साथ आपको अर्पित कर रहे हैं। इसे ग्रहण कर आप भक्त की भावना को स्वीकार करें। पूजा में अक्षत चढ़ाने का अभिप्राय यह है कि हमारा पूजन अक्षत की तरह पूर्ण हो। अन्न में श्रेष्ठ होने के कारण भगवान को चढ़ाते समय यह भाव रहता है कि जो कुछ भी अन्न हमें प्राप्त होता है वह भगवान की कृपा से ही मिलता है। अत: हमारे अंदर यह भावना भी बनी रहे। इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक है। अत: हमारे प्रत्येक कार्य की पूर्णता ऐसी हो कि उसका फल हमें शांति प्रदान करे। इसीलिए पूजन में अक्षत एक अनिवार्य सामग्री है। चावल के 5 दानें भी उतना ही फल देते हैं जितना एक चुटकी चावल या एक मुट्ठी चावल.... अमीरी के कठिनतम उपाय से बेहतर है मात्र एक चुटकी चावल। पूरी श्रद्धा से प्रतिदिन अर्पित करें अपने इष्टदेव को और देखें चमत्कार... |