अरब सागर में मौजूद हैं कृष्ण की द्वारका के राज, ये थी डूबने की वजह |
ऐसी मान्यता है कि मथुरा छोड़ने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में एक नया नगर बसाया. इसका प्राचीन नाम कुशस्थली था. कुछ वर्षों पहले नेशनल इंस्टिट्यूट
ऑफ़ ओसियनोग्राफी को समुद्र के अंदर प्राचीन द्वारका के अवशेष प्राप्त हुए थे.
![]() आज देशभर में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है. इस मौके पर हम आपको महाभारत काल की एक ऐसी नगरी के बारे में बता रहे हैं, जिसे भगवान श्री कृष्ण ने बसाया था. इस नगरी का एक हिस्सा आज भी समंदर में है. कुछ वर्षों पहले इसकी खोज की गई थी. हम बात कर रहे हैं द्वारका धाम की. यह गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में अरब सागर के द्वीप पर स्थित है. ऐसी मान्यता है कि मथुरा छोड़ने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में एक नया नगर बसाया. इसका प्राचीन नाम कुशस्थली था. कुछ वर्षों पहले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओसियनोग्राफी को समुद्र के अंदर प्राचीन द्वारका के अवशेष प्राप्त हुए थे. अनेक द्वारों का शहर होने के कारण इस नगर का नाम द्वारका पड़ा. इस शहर के चारों तरफ से कई लम्बी दीवारें थी, जिनमें कई दरवाजे थे. ये दीवारें आज भी समुद्र के गर्त में हैं. मिले ताम्बे के सिक्के और ग्रेनाइट स्ट्रक्चर
पहला श्राप: महाभारत युद्ध के बाद कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराया. उन्होंने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस तरह कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार पूरे यदुवंश का भी नाश होगा. दूसरा श्राप: प्रचलित कहानियों के मुताबिक, माता गांधारी के अलावा दूसरा श्राप ऋषियों द्वारा श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को दिया गया था. दरअसल, महर्षि विश्वामित्र, कण्व, देवर्षि नारद आदि द्वारका पहुंचे. वहां यादव कुल के कुछ युवकों ने ऋषियों से मजाक किया. वे श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को स्त्री वेष में ऋषियों के पास ले गए और कहा कि ये स्त्री गर्भवती है. इसके गर्भ से क्या पैदा होगा? ऋषि अपमान से क्रोधित हो उठे और उन्होंने श्राप दिया कि- श्रीकृष्ण का यह पुत्र ही यदुवंशी कुल का नाश करने के लिए एक लोहे का मूसल बनाएगा, जिससे अपने कुल का वे खुद नाश कर लेंगे. |