किस तिथि पर किसका श्राद्ध करना चाहिए |
पितृ पक्ष में सभी तिथियों का अलग-अलग महत्व है। आमतौर पर किसी व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि पर होती है, पितृ पक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पितृ पक्ष में किस तिथि पर किसका श्राद्ध होता है...
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पूर्णिमा, जिन लोगों की मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन पर करना चाहिए। इस तिथि से पितृ पक्ष शुरू होता है। प्रतिपदा, इस तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी भी माह के किसी भी पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर हुई हो। नाना-नानी के परिवार किसी की मृत्यु हुई हो और उसकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो उसका श्राद्ध प्रतिपदा पर किया जाता है। द्वितिया, द्वितिया तिथि पर मृत लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जाता है। तृतीया, जिसकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई हो, उसका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। इस बार दो दिन तृतीया तिथि रहेगी। चतुर्थी, इस तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु चतुर्थी तिथि पर हुई हो। पंचमी, पंचमी तिथि पर मृत व्यक्ति का इस दिन किया जाता है। अगर किसी अविवाहित व्यक्ति की मृत्यु हो गई है तो उसका श्राद्ध इस तिथि पर करना चाहिए। षष्ठी, षष्ठी तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि पर हुई हो। सप्तमी, जिस व्यक्ति की मृत्यु किसी भी माह और किसी भी पक्ष की सप्तमी पर हुई है, उसका श्राद्ध इस तिथि पर किया जाता है। अष्टमी, जिन लोगों का देहांत किसी माह की अष्टमी तिथि पर हुई है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। नवमी, अगर किसी महिला की मृत्यु हो गई है और मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध नवमी तिथि पर किया जाता है। दशमी, दशमी तिथि पर मृत लोगों का श्राद्ध दशमी तिथि पर किया जाता है। अगर माता की मृत्यु हो गई है तो नवमी तिथि पर उनका श्राद्ध करने की परंपरा है। एकादशी, इस तिथि पर मृत लोगों का और मृत संन्यासियों का श्राद्ध एकादशी पर किया जाता है। द्वादशी, इस तिथि पर मृत लोगों का श्राद्ध द्वादशी तिथि पर किया जाता है। त्रयोदशी, अगर किसी बच्चे की मृत्यु हो गई है तो उसका श्राद्ध इस तिथि पर करने की परंपरा है। चतुर्दशी, जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना में हो गई है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करना चाहिए। अमावस्या, सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। |