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आक के स्वास्थ्य लाभ

आक को मदार और अकौआ भी कहते हैं| इसका पेड़ छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके पत्ते बरगद के पत्तों की तरह होते हैं| इसका फूल सफेद, छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके फलों में कपास होती है|
आक की शाखाओं से दूध निकलता है| यदि आक के पीले पत्तों पर घी लगाकर सेंककर इसका अर्क कान में डाला जाए तो आधा सीसी का दर्द जाता रहता है| आक दांतों की पीड़ा, आधा सीसी के दर्द, बहरेपन तथा कान के दर्द आदि की बेजोड़ दवा है|
आक के कोमल पत्ते मीठे तेल में जलाकर अंडकोश पर बांधने से उसकी सूजन दूर होती है| कड़वे तेल में इसके पत्तों को पकाकर लगाने से घाव ठीक हो जाता है| दमा रोग के लिए आक का पत्ता बहुत लाभकारी है| इसके लिए आक के पत्ते पर कत्था-चूना लगाकर पान की तरह खाना चाहिए| सूजन दूर करने के लिए आक का हरा पत्ता पीसकर लेप किया जाता है| आक का दूध निकालकर उसका फाहा मुंह पर लगाने से लकवा दूर होता है| इसके अन्य चिकित्सीय
1. खांसी
आक की जड़ का चूर्ण 2 ग्राम, पुराना गुड़ 5 ग्राम तथा कालीमिर्च 3 दाने – सबको पीसकर चने के बराबर गोलियां बना लें| प्रतिदिन दो गोली गरम पानी के साथ लेने से कफ की खांसी ठीक हो जाती है|
2. फोड़ा-फुंसी
आक की जड़ को पीसकर पानी में मिलाकर फोड़े-फुंसी पर लेप लगाने से वे ठीक हो जाते हैं|
3. प्रदर रोग
जिन स्त्रियों को प्रदर रोग हो, उन्हें आक की जड़ का चूर्ण दो माशे की मात्रा में दही के साथ खाना चाहिए|
4. नासूर
आक की जड़ की राख तथा पीपल की छाल का भस्म नासूर पर लगाने से वह बहुत जल्दी ठीक हो जाता है|
5. श्वास रोग
आक की जड़ का चूर्ण दो रत्ती की मात्रा में गुड़ के साथ सेवन करने से श्वास रोग ठीक हो जाता है|
6. सूजन
आक की जड़ का चूर्ण दो माशा तक खाने से शरीर पर होने वाली सूजन जाती रहती है|
7. प्रमेह
आक की जड़ 5 ग्राम, असगंध 5 ग्राम तथा बीज बंद 6 ग्राम – सबका चूर्ण बनाकर गुलाबजल में खरल कर लें| इसमें से एक माशा चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से प्रमेह रोग जल्दी ठीक हो जाता है|
8. दमा व प्लीहा रोग
आक के थोड़े से पत्तों और 10 ग्राम सेंधा नमक को कूटकर एक छोटी हांडी में रख मुंह बंद कर दें| फिर इस हांडी को उपलों की आग में दबा दें| कुछ देर बाद हांडी निकालकर ठंडी करें| अब इसका चूर्ण एक शीशी में भरकर रख लें| प्रतिदिन सुबह-शाम एक माशा चूर्ण शहद या पानी के साथ सेवन करने से खांसी, दमा और प्लीहा रोग ठीक हो जाता है|
9. बवासीर
आक के पत्ते और डंठल को आधा लीटर पानी में भिगो दें| फिर इस पानी से गुदा को अच्छी तरह धोएं| बवासीर का रोग चला जाएगा|
आक का सूखा डंठल एक तरफ से जलाएं और दूसरी तरफ से उसका धुआं नाक द्वारा खींचें| हर प्रकार का सिर दर्द भाग जाएगा|
11. कुत्ते का काटा
आक के थोड़े-से दूध में तीन-चार कालीमिर्च का चूर्ण मिलाएं| नौ दिनों तक एक माशा दवा लेने से कुत्ते काटे का विष शान्त होता है|
12. दु:खती आंख
आक का दूध दाएं तथा बाएं पैर के अंगूठों पर लगाने से दुःखती हुई आंखें ठीक हो जाती हैं|
13. बर्रै का डंक मारना
बर्रै के काटने पर आक का दूध लगाने से उसका विष शान्त हो जाता है|
14. बाल उड़ना
यदि सिर, हाथ और पैरों आदि के बाल उड़ गए हों या बाल खोरा हो गया हो तो वहां पर आक का दूध मलने से बाल उग आते हैं|
15. मिरगी रोग
आक का दूध मिरगी के रोगी के दोनों तलवों पर लगभग एक माह तक मलने से यह रोग हमेशा के लिए चला जाता है|
16. नहरुआ रोग
नहरुआ रोग गांवों में होता है| इसमें पैर के तलवों पर एक कीड़ा चिपक जाता है जिस कारण असहनीय पीड़ा होती है| तलवों को नीचे रखना कठिन हो जाता है| इसके उपचार के लिए घी में आक का दूध मिलाकर तलवों पर लगाना चाहिए|
17. उंगली का सड़ना
यदि उंगलियों में खुजली, खाज या चोट लग जाने के कारण सड़न पैदा हो जाए तो तिली के तेल में आक का दूध मिलाकर लगाएं| सड़न दूर हो जाएगी| साथ ही खुजली, खाज और चोट भी ठीक हो जाएगी|