कब्ज के घरेलु उपचार |
कब्ज छोटे-बड़े सभी लोगों को हो जाता है| इसमें खाया हुआ भोजन शौच के साथ बाहर नहीं निकलता| वह आंतों में सूखने लगता है| मतलब यह कि आंतों में शुष्कता बढ़ने के कारण वायु मल को नीचे की तरफ सरकाने में असमर्थ हो जाती है| यही कब्ज की व्याधि कहलाती है| |
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1. मिट्टी और तांबा रात को तांबे या मिट्टी के बरतन में पानी रखकर सुबह निहार मुंह पीने से कब्ज टूट जाता है और मल साफ आता है| 2. अमलतास और गूदा अमलतास के फूल तथा गूदा खाने से कब्ज टूट जाता है| 3. दूध और मुनक्का रात के समय दूध में चार-पांच मुनक्के डालकर सेवन करें| 4. अंजीर और पानी दो अंजीर एक गिलास पानी में भिगो दें| थोड़ी देर बाद जब अंजीर फूल जाएं तो उन्हें पानी में मथकर पी जाएं| 5. बहेड़ा, हरड़, गरम पानी और आंवला एक चुटकी हरड़ का चूर्ण, दो चुटकी बहेड़ा का चूर्ण तथा एक चम्मच आंवले का चूर्ण भोजन के बाद रात को गरम पानी के साथ लें| 6. चना, मूंग और पानी रात को 50 ग्राम चने और 50 ग्राम साबुत मूंग पानी में भिगों दें| सुबह इन्हें चबा-चबाकर खाएं| फिर ऊपर से उसका पानी पी लें| इससे कब्ज की शिकायत दूर हो जाएगी| 7. पपीता भोजन के बाद एक गिलास पपीते का रस पीने से कब्ज दूर हो जाता है| 8. घी और केसर रात को चार चम्मच देशी घी में एक रत्ती केसर मिलाकर सेवन करें| 9. हरड़, सनाय और गुलाब छोटी हरड़ का चूर्ण 3 ग्राम, सनाय की पत्तियों का चूर्ण 5 ग्राम और गुलाब की सुखी पत्तियां 3 ग्राम – सबको मिलाकर गुनगुने पानी से सुबह-शाम दो मात्राएं बनाकर सेवन करें| 10. लहसुन भोजन के साथ लहसुन खाने से कब्ज और वायु की शिकायत नहीं होती| 11. आंवला, सेब और दूध रात को एक चम्मच आंवले का चूर्ण दूध के साथ सेवन करें|100 ग्राम सेब के छिलके पानी में उबालकर नित्य भोजन के बाद पिएं| 12. अमरूद और दूध 250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से आधा लीटर दूध पी जाएं| उस दिन भोजन न करें| आंतों से मेल निकल जाएगा| 13. एरण्ड तेल और दूध एक चम्मच एरण्ड का तेल दूध में मिलाकर सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर होती है| 14. आम और दूध भोजन के बाद आम खाकर दूध पीने से भी कब्ज टूट जाता है| 15. कच्ची शलजम कच्ची शलजम खाने से दस्त साफ आता है| 16. गरम पानी, शहद और गुलाब गरम पानी में गुलाब का एक फूल भिगो दें| फिर उसको मथकर शहद डालकर वह पानी पी जाएं| 17. मूंगफली दो चम्मच मूंगफली के तेल में थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करें| 18. गिलोय और गुड़ गिलोय को कुचलकर उसमें जरा-सा गुड़ मिलाकर सेवन करें| 19. बैंगन और पालक बैंगन को कुचलकर उसका रस चार चम्मच निकालें| फिर उसमें दो चम्मच पालक का रस मिलाकर पी जाएं| 20. दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची दालचीनी, सोंठ, जीरा तथा इलायची 3-3 ग्राम लेकर चूर्ण बनाकर गरम पानी के साथ सेवन करें| 21. हरड़ और मुरब्बा रात को हरड़ का मुरब्बा खाने से सुबह पेट साफ हो जाता है| 22. गुलकंद और अमलतास गुलकंद को दो चम्मच अमलतास के गूदे के साथ सेवन करें| 23. सौंफ, बनफशा, बादाम, सनाय और चीनी सौंफ, बनफशा, बादाम की गिरी, सनाय तथा चीनी 5-5 ग्राम – सबका चूर्ण बनाकर गुनगुने पानी से सेवन करें| 24. तिल और खांड़ तिल कूटकर उसमें जरा-सी खांड़ मिलाकर सेवन करें| कब्ज (कोष्ठबद्धता) में क्या खाएं क्या नहीं गेहूं तथा जौ की रोटी में चोकर की मात्रा ज्यादा होने से कब्ज नहीं बनता| जितनी भूख हो, उससे एक या आधी रोटी कम खाने से पेट ठीक रहता है| दालों में मूंग और मसूर फायदेमंद हैं| सब्जियों में तरोई, परवल, टिण्डा, लौकी, आलू, शलजम, पालक, मेथी आदि बिना मिर्च-मसाले के खाना चाहिए| फलों में अमरूद, आम, आंवला, अंगूर, खरबूजा, खूबानी, पपीता, जामुन, नाशपती, बेल, मौसमी, सेब, संतरा आदि का सेवन करें| चावल, कड़े पदार्थ, तैलीय चीजें, खटाई, रबड़ी, मेवे, पेड़ा, बेसन की चीजें आदि का सेवन बिलकुल न करें| भोजन के साथ टमाटर या गाजर का रस, कब्ज वाले मरीजों के लिए बहुत लाभकारी है| इसके अलावा मन को शांत रखें| व्यर्थ में क्रोध, लोभ, लालच आदि की बाधा पास न आने दें| सुबह-शाम पैदल चलना तथा व्यायाम करना भी अच्छा रहता है| व्यायाम सदैव शारीरिक शक्ति के अनुसार करें| व्यायाम के आधा घंटा बाद दूध या किसी पौष्टिक पदार्थ का सेवन कर सकते हैं| कब्ज (कोष्ठबद्धता) का कारण प्रतिदिन दोनों समय मल का साफ होकर न निकलना ही कब्ज है| यदि मल त्याग के समय बल लगाना पड़े तो समझ लेना चाहिए कि कब्ज हो गया है| इसमें मल कड़ा और शुष्क हो जाता है| यह रोग वरिष्ठ भोजन, मिर्च-मसालेदार पदार्थों का अत्यधिक सेवन तथा छिलका रहित भोजन लेने, शराब पीने, व्यायाम न करने, दिनभर बैठे-बैठे काम करने आदि के कारण हो जाता है| क्रोध, लोभ, मोह, लालच आदि का भी पेट पर असर पड़ता है, जिससे कब्ज की शिकायत हो जाती है| कब्ज (कोष्ठबद्धता) की पहचान कब्ज होने पर पेट में दर्द, भारीपन, भोजन में अरुचि, सुस्ती, बेचैनी आदि लक्षण दिखाई देते हैं| यदि कब्ज पुराना हो जाता है तो वायु का रोग हो जाता है| तब सिर, कमर तथा हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत हो जाती |