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कार्बन डाइ ऑक्साइड धरती के लिए
मुसीबत सौंदर्य के लिए वरदान

कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस भले ही ग्लोबल वार्मिग के लिए जिम्मेदार हो, लेकिन लोगों की खूबसूरती को बरकरार रखने में यह मददगार साबित हो रही है।




आंखों के नीचे पड़ने वाले काले धब्बों, चेहरे की झुर्रियों और मोटापे को कम करने में 'कार्बोक्सोथेरेपी' का उपयोग बढ़ रहा है। इसमें कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस के इस्तेमाल से कॉस्मेटिक सर्जरी की जाती है।
दरअसल आंखों के निचले हिस्से में जब रक्त का संचार सही तरीके से नहीं हो पाता, तो वहां काले निशान बन जाते हैं। उस जगह पर कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस की थोड़ी मात्रा प्रवेश कराने से वहां का रक्त संचार बढ़ जाता है और निशान खत्म होने लगते हैं।
डॉक्टरों के अनुसार गैस को त्वचा के भीतर प्रवेश कराने से लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) ऑक्सीजन छोड़ने लगती है। नतीजतन त्वचा स्वस्थ होने लगती है और उसका रंग-रूप निखरता है।
मोटापे को कम करने के लिए भी कार्बोक्सोथेरेपी विधि कारगर साबित हो रही है। दरअसल कार्बन डाइ ऑक्साइड मोटापे के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं (फैट सेल्स) को खत्म कर देती है। जिससे फैट कोशिकाओं की संख्या में कमी होती जाती है।
इटली के सिएना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन से यह प्रमाणित किया है कि कार्बोक्सोथेरेपी की मदद से मोटापे को कम किया जा सकता है।