नकसीर के घरेलु उपचार |
नाक से अचानक खून की धार फूटने की नकसीर कहते हैं| यह बच्चों तथा युवकों को अधिक होती है| कभी-कभी वृद्धों को भी इससे पीड़ित होते देखा गया है| नकसीर गरमी के वातावरण में शारीरिक गरमी बढ़ जाने के कारण फूटती है| असल में शरीर का रक्त गरम होकर पतला पड़ जाता है| जिन बच्चों तथा युवकों की प्रकृति पित्त प्रधान होती है, उनका पतला रक्त नाक के द्वार से बाहर निकलना शुरू हो जाता है| नाक से निकलने वाला यह रक्त पित्त रोग के अन्तर्गत माना जाता है| जो लोग गरम तासीर वाले भोजन के शौकीन होते हैं तथा शराब, सिगरेट-बीड़ी आदि का आधिक सेवन करते हैं या धूप में देर तक कार्य करते रहते हैं, उनको यह रोग बड़ी जल्दी हो जाता है| |
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नकसीर फूटने पर बच्चे/युवक को तुरन्त किसी ठंडी जगह पर ले जाकर लिटाना चाहिए| प्राथमिक उपचार के लिए उसकी नाक को ठंडे पानी से धोकर उस पर ठंडे पानी की पट्टी रखनी चाहिए| पट्टी माथे पर रखने से भी रोगी को काफी राहत मिलती है| गुलाब का फूल व खस की जड़ को पानी में भिगोकर तथा पुदीना पीसकर बार-बार सुंघाना चाहिए| खून बंद होते ही नाक के नथुनों की सफाई कर देनी चाहिए| यदि रोगी जूते-मोजे या मोटे कपड़े पहने हुए हो तो उसे तुरन्त उतार देना चाहिए| पैर के तलवों पर देशी घी या मक्खन मलना चाहिए| 1. आम आम की गुठली को पीसकर उसका रस निकाल लें| फिर इस रस को नाक में बूंद-बूंद टपकाएं| 2. गन्ना और प्याज गन्ने के रस में आठ-दस बूंद प्याज का रस मिलाकर नाक, कनपटियों तथा माथे पर धीरे-धीरे मलें| 3. फिटकिरी माथे पर फिटकिरी का लेप करने से नाक से खून गिरना रुक जाता है| 4. आंवला और मुलहठी एक चम्मच आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच मुलहठी का चूर्ण – दोनों को मिलाकर रोगी को दूध या ताजे पानी से सेवन कराएं| 5. अनार, घी और दूब 10 ग्राम अनार की पत्तियों का रस, 10 ग्राम गेंदे की पत्तियों का रस तथा 10 ग्राम दूब का रस – तीनों को गाय के घी में मिलाकर, थोड़ी देर तक आग पर पकने दें| फिर इसमें से एक चम्मच दवा रोगी को पिलाएं| नाक तथा माथे पर उस घी की मालिश भी करें| 6. गुलाबजल और किशमिश रात में गुलाबजल में किशमिश पीसकर सेवन करें| 7. धनिया, मिश्री और पानी ताजे पानी में धनिया के थोड़े से दाने भिगो दें| फिर उनको पीसकर मिश्री डालकर रोगी को तीन-चार बार पिलाएं| 8. पेठा पेठे की मिठाई खिलाने तथा पेठे का शरबत पिलाने से भी नकसीर का खून रुक जाता है| 9. आंवला और सेंधा नमक आंवले के रस में सेंधा नमक डालकर सेवन करें तथा स्वरस नाक में भी बूंद-बूंद टपकाएं| 10. तुलसी माथे पर तुलसी के पत्तों का लेप करने से खून रुक जाता है| 11. उरद उरद की दाल पीसकर माथे पर लेप करें| 12. मुलतानी मुलतानी मिट्टी भिगोकर नाक तथा माथे पर लेप करने से नकसीर में काफी लाभ होता है| 13. बेल बेल के पत्तों का रस एक चम्मच की मात्रा में पिलाने से नकसीर का खून रुक जाता है| 14. नीबू ताजे नीबू का रस निकालकर नाक में टपकाएं| 15. नीबू नीबू की शिकंजी पिलाने से नाक से खून बहना रुक जाता है| 16. गेहूं और दूध यदि नकसीर फूटने पर खून न रुके तो दो चम्मच जौ या गेहूं का आता कच्चे दूध में अच्छी तरह घोलकर पिला दें| 17. बथुए और नीबू बथुए के रस में थोड़ा-सा नीबू का रस मिलाकर पिलाने से नकसीर का खून रुक जाता है| 18. गाय का दूध गाय के दूध में थोड़ी-सी फिटकिरी डालकर रोगी को बार-बार सुंघाएं| 19. अजवायन और नीम अजवायन तथा नीम के पत्तों को पीसकर लेप बना लें| फिर इस लेप को रोगी की कनपटियों और माथे पर लगाएं| 20. लौकी और शहद दो चम्मच लौकी के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर पिलाएं| नकसीर में क्या खाएं क्या नहीं नकसीर फूटने पर खाने-पीने में कोई विशेष परहेज नहीं है| फिर भी गरम पदार्थ, गरम मसाले, चाट-पकौड़े, चाय, कहवा, शराब या अन्य प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए| शरीर की सहनशीलता तथा स्वभाव से अधिक ठंडे पदार्थों को भी नहीं ग्रहण करना चाहिए| जहां तक हो सके, सम स्वभाव या तासीर के फल तथा सब्जियां खानी चाहिए| गरमी वाले स्थानों तथा धूप में काम करने की क्रिया-विधि रोक देनी चाहिए| ठंडे स्थानों में निवास करना तथा कुछ ठंडे पदार्थों का सेवन हितकारी रहता है| वैसे पित्त को शान्त करने वाले नुस्खों का इस्तेमाल किया जा सकता है| नकसीर का कारण नाक अथवा दिमाग में अचानक चोट लगने, खून के भार में वृद्धि होने, पुराने जुकाम के बिगड़ जाने आदि के कारण नाक से खून बहने लगता है| कई बार पुराने बुखार की गरमी से भी खून फूट पड़ता है| नकसीर प्राय: गरमियों में फूटती है क्योंकि इस मौसम में शरीर में काफी गरमी बढ़ जाती है| नकसीर की पहचान नकसीर फूटने से पहले सिर में भारीपन मालूम पड़ता है| फिर अचानक सिर में दर्द हो जाता है| दिमाग घूमने लगता है और कभी-कभी तेज चक्कर आ जाता है| लगता है, जैसे दिमाग में किसी ने गरमी के बगूले भर दिए हों| इसके बाद बच्चे या युवक की नाक से गरम-गरम खून बहना शुरू हो जाता है| खून के बहने की क्रिया कभी तो नाक के बाएं नथुने से होती है और कभी दोनों नथुनों से| खून मुंह में आकर पेट में भी चला जाता है| इससे खांसी पैदा हो जाती है| रोगी घबरा जाता है| उसे सांस लेने में भी मुसीबत मालूम पड़ती है| |