बच्चों की हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित करता है शोर, जानें खतरे |
छोटे बच्चों के लिए शोर भरा माहौल बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। बचपन में कई बार जब काम के दौरान बच्चे आपको परेशान करते हैं, तो आप मोबाइल में गाने बजाकर उन्हें पकड़ा देते हैं या टीवी चलाकर उन्हें बिठा देते हैं। इससे बच्चे का मन लगा रहता है और वो परेशान तो नहीं करता है मगर शोर भरा ये माहौल बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है। अगर आपका बच्चा धीरे-धीरे म्यूजिक या हेडफोन पर गाने चलाकर पढ़ने की आदत डाल रहा है, तो भी सावधान हो जाएं। शोर बच्चों के लिए खतरनाक है। आइए आपको बताते हैं कि क्या हैं शोर भरे माहौल में बच्चों को रखने का खतरा।
|
![]() |
प्रभावित होता है दिमागी विकास लगातार कानों में पड़ने वाले शोर से बच्चों के दिमागी विकास पर प्रभाव पड़ता है। टीवी की आवाज, मोबाइल पर गाने की आवाज, रेडियो या वाशिंग मशीन से आने वाली आवाज अगर कुछ घंटों से ज्यादा समय के लिए लगातार सुनाई दे, तो यह हानिकारक है। इस कारण दो साल से कम उम्र के बच्चों का मानसिक विकास बाधित होता है। इसके अलावा कई बार बचपन में तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है मगर भविष्य में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। बढ़ जाता है कई बीमारियों का खतरा एक दिन में 6 घंटे से ज्यादा देर तक शोर से संपंर्क में रहने के कारण बच्चों के दिमाग में रक्त धमनियों का बनना रुक जाता है। लंबे समय के प्रभावों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और तेजी से बुढापा आने जैसी बीमारियों की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा बच्चों की पढ़ाई के समय यदि बहुत तेज आवाज से टीवी देखा जाए या म्यूजिक सुना जाए तो इससे उनके सीखने, याद करने और समझने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। प्रभावित होती है याददाश्त शोर में पढ़ने से इसका असर याद्दाश्त पर भी पढ़ता है। असल में शोर में पढ़ने से कुछ याद नहीं होता। इतना ही नहीं शोर में सीखी हुई चीजें या कही हुई बातें लम्बे समय तक याद भी नहीं रहती। यदि हर समय घर में टीवी या म्यूजिक सिस्टम चलता है तो इससे बच्चों की याद्दाश्त कमजोर होने लगती है। सहज है, यदि बचपन से ही याद्दाश्त कमजोर रही तो युवास्था तक आते आते यह उनके स्वभाव का अभिन्न हिस्सा बन जाता है। निःसंदेह बेहतर भविष्य के लिए यह सही नहीं है। नई चीजें सीखने में परेशानी जिस तरह शांत माहौल नई चीजों की ओर आकर्षित करता है, उसी तरह शोर युक्त माहौल नई चीजों को सीखने से दूर करता है। दरअसल शोर में नई चीजें समझ नहीं आती। खासकर विज्ञान या गणित। ये विषय शोर में न तो समझ आते हैं और न ही इनके प्रति कोई रुचि पैदा हो पाती। वैसे भी नई चीजें सीखते समय रुचि और इच्छा दोनों का होना आवश्यक है। शोर युक्त माहौल रुचि पैदा नहीं होने देता। यही कारण है कि शोर में हम अकसर नई चीजों को सीखने से डरते हैं। एकाग्रता की क्षमता तमाम शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि शोर से बच्चों की स्मार्टनेस यानी इंटेलिजेंसी में कमी आती है। साथ ही शोध यह भी बतलाते हैं कि शांत माहौल में पढ़ने से उनका ध्यान केंद्रित रहता है। चूंकि आसपास माहौल शांत है तो बच्चों का पूरा जोर सीखने पर रहता है। अतः आप कह सकते हैं कि शांत माहौल के कारण बच्चे तेजी से सीखते और उनकी एकाग्र क्षमता भी बेहतर होती है। सो, बच्चे चाहे छोटे हों या बड़े सीखने हेतु घर में शांत माहौल को ही तरजीह दें। |