तुलसी के स्वास्थ्य लाभ |
हमारे देश में तुलसी का पौधा घर-घर में मिलता है| तुलसी का अर्थ है – तु’ से भौतिक, ‘ल’ से दैविक और ‘सी’ से आध्यात्मिक तापों का संहार करने वाली| इसका पौधा लगभग 3-4 फुट ऊंचा होता है|
इसकी पत्तियां, डंठल, मंजरी, जड़ आदि सभी अमृत के समान गुण वाली होती हैं| कोई इसे वृन्दा कहता है तो कोई वैष्णवी| तुलसी कीटाणु नाशक, कपूर प्रदान करने वाली, तरह-तरह के रोगों को भगाने वाली और मन में ओज एवं तेज भरने वाली है| कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वह घर तीर्थ के समान पवित्र होता है| उस घर में रोग, शोक, व्याधि आदि नहीं आते| तुलसी की पत्तियों से वायु लगकर सुगंधित तेल अपने साथ लेकर चारों ओर फैला देती है जिससे वातावरण गंधमय और रोगरहित हो जाता है| |
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जब मनुष्य इस वायु में श्वास लेता है तो वायु का स्वास्थ्यवर्द्धक प्रभाव उसके शरीर के प्रत्येक कोष पर पड़ता है| इससे रक्त शुद्ध हो जाता है, फेफड़े नीरोग बनते हैं तथा शरीर के सभी बाहरी और भीतरी अंग स्वस्थ एवं शक्तिशाली हो जाते हैं| यही कारण है कि पुराने समय में तुलसी बाग, बगीचों तथा घरों में अवश्य लगाई जाती थी| तुलसी ही एक ऐसा पौधा है जो अपनी वायु से आकाश, धरती और जल को शुद्ध करता है| तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से शरीर बलवान, वीर्यवान तथा प्रभावशाली होता है| तुलसी में एक विशेष प्रकार की एसिड होती है जो सड़ांध तथा गंदगी को दूर करती है| तुलसी में विद्युत शक्ति भी होती है| इसीलिए गले में तुलसी की माला पहनने को कहा जाता है ताकि मानव-शरीर की विद्युत-शक्ति सुरक्षित रहे| तुलसी की माला पहनने से व्यक्ति संक्रामक रोगों से बचा रहता है| तुलसी की चाय पीने से ज्वर, आलस्य, सुस्ती, अरुचि, दाह, वात विकार तथा पित्त विकार नष्ट होते हैं| तुलसी की सूखी पत्तियों को पानी में पीसकर उसका उबटन लगाने से चेहरे व शरीर की सुन्दरता बढ़ती है| तुलसी मुंहासे, झाईं तथा सफेद दाग भी दूर करती है| इसके प्रमुख औषधीय उपयोग निम्नवत हैं – 1. आधासीसी का दर्द तुलसी की पत्ती को कालीमिर्च के साथ पीसकर उसके रस का नस्य लेने से आधासीसी का दर्द छूमंतर हो जाता है| 2. अनिद्रा अनिद्रा के रोगी सोते समय तकिये के नीचे तुलसी की थोड़ी-सी पत्तियां रख लें| इससे अनिद्रा रोग दूर हो जाएगा| 3. चक्कर आना तुलसी के रस में शुद्ध शहद मिलाकर पीने से चक्कर आना बंद हो जाता है| 4. सिर दर्द तुलसी के रस को माथे पर मलने, कनपटियों पर लगाने, पत्तियों को सूंघने तथा रस को नाक में टपकाने से सिर दर्द चला जाता है| 5. लकवा तुलसी की थोड़ी-सी पत्तियों को पानी में उबाल लीजिए| फिर उस पानी को छानकर लकवे वाले अंग को मल-मलकर धोएं| लगभग 20 दिनों तक यह कार्य करने से लकवे के रोगी को काफी लाभ होता है| 6. जुकाम का सिर दर्द जुकाम का सिर दर्द बड़ा कष्टदायी होता है| एक माशा तुलसी की मंजरी और दो छोटी इलायची के दाने की चाय पीने से जुकाम के कारण होने वाला सिर दर्द तत्काल दूर हो जाता है| 7. वमन चार-पांच पत्तियां तुलसी, तीन रत्ती छोटी इलायची, तीन रत्ती लौंग, थोड़ी-सी मुलहठी तथा जरा-सी दालचीनी-सबको मिलाकर आधा कप पानी में औटाएं| फिर उसे छानकर ठंडा कर लें| अब इसमें जरा-सा गुड़ या चीनी डालकर रोगी को पिलाएं| वमन तुरन्त रुक जाएगा| 8. पेट का दर्द तुलसी और अदरक का रस गरम करके पीने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है| 9. पेट में कीड़े तुलसी की 11 पत्तियां, एक चुटकी बायबिड़ंग तथा थोड़ा-सा गुड़ – तीनों को पीसकर दो गोलियां बना लें| सुबह-शाम एक-एक गोली ताजे पानी से एक सप्ताह तक खाएं| पेट के कीड़े नष्ट हो जाएंगे| 10. अपच तुलसी की पत्तियों को पीसकर पानी में घोलकर पीने से पेट की पाचन शक्ति तेज होती है| 11. अजीर्ण और मन्दाग्नि एक चम्मच तुलसी का रस, एक चम्मच पिसी सोंठ और 5 ग्राम पुराना गुड़ – सबको मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से अजीर्ण व मन्दाग्नि रोग दूर हो जाते हैं| 12. बवासीर तुलसी की पत्तियों का रस मस्सों पर लगाने तथा बीजों को दिन में दो बार खाने से बवासीर का रोग ठीक हो जाता है| 13. दस्त 4-5 ग्राम तुलसी के बीजों का चूर्ण दिन में तीन बार खाने से दस्त रुक जाते हैं| 14. हैजा तुलसी की पत्तियां तथा कालीमिर्च – दोनों का चूर्ण बनाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद सेवन करने से हैजे में काफी लाभ होता है| 15. सफेद कुष्ठ तुलसी की जड़ की मिट्टी तथा पत्तों को महीन पीसकर हल्का गीला करके सफेद दागों पर लगाना काफी लाभदायक होता है| 16. दाद तुलसी के पत्तों के रस में जरा-सा सेंधा नमक और थोड़ा-सा नीबू का रस मिलाकर लगाने से दाद अच्छा हो जाता है| 17. खुजली तुलसी के पत्तों के रस में नीबू और तेल मिलाकर खुजली वाले स्थान पर दिन में चार बार लगाएं| 18. मुख के छाले तुलसी और चमेली के पत्तों का एक साथ चबाकर खाने से मुख के छाले ठीक हो जाते हैं| 19. चेचक का बुखार तुलसी की मंजरी 3 ग्राम, मेथी 3 ग्राम तथा कूट 2 ग्राम – तीनों को एक कप पानी में औटाएं| जब पानी चौथाई कप रह जाए तो छानकर रोगी को पिलाएं| इससे चेचक का ज्वर चला जाता है| 20. खांसी तुलसीदल के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से खांसी दूर होती है| तुलसी की पत्तियों के काढ़े में कालीमिर्च का चूर्ण और शहद मिलाकर लेने से भी खांसी ठीक हो जाती है| 21. सर्दी-जुकाम तुलसी की पत्तियां, अदरक तथा कालीमिर्च – तीनों का काढ़ा बनाकर शक्कर के साथ पीने से सर्दी-जुकाम बह जाता है| 22. पीलिया तुलसी की पत्तियों का रस 3 ग्राम, मूली का रस 10 ग्राम तथा गुड़ 10 ग्राम – तीनों को मिलाकर दिनभर में दो खुराक के रूप में सेवन करने से पीलिया ठीक हो जाता है| 23. प्रदर रोग 2 से 5 ग्राम (रोग के अनुसार) तुलसी की पत्तियों का रस चावल के मांड़ के साथ सेवन करने से स्त्रियों का प्रदर रोग चला जाता है| 24. गर्भधारण तुलसी के पत्तों को पानी के साथ पीसकर मासिक धर्म के दिनों में पीने से गर्भ ठहर जाता है| 25. कान का दर्द तुलसी की पत्तियों का रस गरम करके कान में टपकाने से कान का दर्द रुक जाता है| 26. दांत का दर्द तुलसी की पत्ती को अदरक के टुकड़े के साथ दांत या दाढ़ के नीचे दबाने से दाढ़-दांत का दर्द दूर हो जाता है| 27. बर्रै-बिच्छू का विष बर्रै तथा बिच्छू द्वारा मारे हुए डंक के स्थान पर तुलसी की पत्तियों का रस मलें| रोगी को तुलसी तथा कालीमिर्च का काढ़ा नमक डालकर बार-बार पिलाएं| दोनों का विष उतर जाएगा| 28. गले का दर्द तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीने से गले का दर्द ठीक हो जाता है| |