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चूना के स्वास्थ्य लाभ

सुश्रुत, वागभट्ट आदि प्राचीन आचार्यों ने औषधि विज्ञान में चूने का महत्वपूर्ण स्थान रखा है| शरीर की हड्डियों को मजबूत करने के लिए कैलशियम नामक तत्त्व को बहुत उपयोगी माना जाता है और वह कैलशियम चूने में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है| चूना जंतु-नाशक है, चूना में क्षार अधिक मात्रा में पाया जाता है| चूने में पाया जाने वाला कैलशियम सर्व प्रकार के प्रदाहिक सूजन में लाभ करता है| इसे चूने के पानी के रूप में प्रयोग किया जाता है| चूने के पानी के रूप में प्रयोग किया जाता है| चूने का पानी आम्ल-नाशक होता है|
1. मोच एवं हड्डी टूटना
चूने को हल्दी, गुड़ या शहद के साथ लेप करने से मोच का दर्द शान्त हो जाता है|
2. मुंह की कीलें
चूने को शहद में मिलाकर मुंह की कीलों पर लगाने से कीलें निकल जाती हैं|
3. जमजूं
गन्दगी की वजह से किसी के गुह्य-स्थानों, आंखों की पलकों एवं बगल में जमजुएं पड़ जाती हैं तो चूना एवं नीम का रस गर्म पानी में डालकर स्नान करने से एवं पलकों को धोने से वो समाप्त हो जाती हैं|
4. घाव
किसी भी प्रकार के शस्त्र का घाव हो, उस पर चूना, मक्खन एवं सौंठ मिलाकर लेप करने से घाव भर जाता है|
5. दर्द
किसी भी प्रकार के दर्द पर चूना एवं शहद को मिलाकर लेप करने से दर्द मिट जाता है|
6. चूने से हानि
अधिक मात्रा में चूने का खाना एवं पीना, दोनों ही अहितकर हैं| मुंह के छाले हो जाते हैं, पेशाब रुक जाता है| आंतों में घाव होकर खून के दस्त होने लगते हैं| दिल में धड़कन होकर आदमी बेहोश हो जाता है|
7. पान एवं जर्दा
आज के सभ्यता के युग में लोग पान एवं जर्दा में चूने को खाते ही रहते हैं| सम्भवत: धर्म स्थान एवं नींद में भी मुंह खाली नहीं रहता है| यह अपने ही शरीर के साथ शत्रुता का व्यवहार करते हैं| इस जहर से अपने को बचाने के लिये बंसलोचन, इलायची एवं सौंफ का प्रयोग अत्युत्तम है|
8. अजीर्ण
जिसकी वजह से पेशाब साफ नहीं आता है, खट्टी डकारें आती हैं| साथ ही साथ वमन क्रिया चालू हो जाती है| ऐसी स्थिति में दूध में चूने का पानी पिलाने से लाभ होता है|
9. वमन
चूने का पानी दूध में मिलाकर पीने से वमन तत्काल अपनी क्रिया बन्द कर देता है|
10. प्रदर रोग
(श्वेत प्रदर) 25 ग्राम चूने का पानी एवं 1000 ग्राम पानी मिलाकर पिचकारी देने से श्वेत प्रदर की शिकायत से मुक्ति मिल जाती है|
11. नाक, कान के रोग
चूने के पानी में दूध मिलाकर कान एवं नाक में पिचकारी देने से लाभ होता है|
12. क्षय रोग
इस रोग में पीड़ित व्यक्ति को दूध के साथ चूने का पानी पिलाने से फायदा होता है| अग्नि से जले हुए स्थान पर चूना एवं असली के तेल का प्रयोग लाभप्रद है| शीतला के व्रण पर रुई के फोये के चूने के पानी में भिगोकर व्रणों पर रखने से घाव गहरे नहीं पड़ते हैं|