खांसते वक्त खून निकलना फेफड़े के कैंसर का है संकेत, जानें इसके अन्य कारण और लक्षण |
फेफड़े का एडेनोकार्सिनोमा कैंसर का सबसे सामान्य प्रचलित रूप है और यह बड़ी संख्या में वयस्कों को प्रभावित करता है। फेफड़ें के कैंसर में टिश्युज की असामान्य वृद्धि होती है, जो सबसे अधिक ब्रांकाई में शुरू होती है, और पूरे फेफड़े के ऊतकों में फैलती है। फेफड़े का एडेनोकार्सिनोमा को व्यापक रूप से स्माल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी) और नॉन-स्माल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) में वर्गीकृत किया जा सकता है। बाद के प्रकार को एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल और लार्ज सेल वेराइटीज में वर्गीकृत किया जाता है।
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एससीएलसी और एनएससीएलसी के बीच के अंतर को हम इस प्रकार बता सकते है। एससीएलसी होते ही इसके व्यापक रूप से फैलने की प्रवृत्ति होती है इसलिये इसके उपचार में कीमोथैरेपी का इस्तेमाल ही मुख्य आधार है। दूसरी तरफ एनएससीएलसी होने पर यह फेफड़े तक ही स्थानीकृत रहता है इसलिये इसके उपचार में रेडिएशन थेरेपी के साथ अथवा इसके बिना सर्जिकल रीसेशन का प्रयोग ही मुख्य आधार है। फेफड़े के कैंसर के प्रत्येक प्रकार का अपना खास लक्षण होता है और अभी हाल के दिनों में आनुवांशिक लक्षणों के विकास से यह आशा जगी है कि आने वाले समय में नयी उपचार प्रणालियों के विकास से इस रोग से पीड़ित लोगों को बेहतर लाभ प्राप्त हो सकेगा। फेफड़े का एडीनोकार्सिनोमा एक प्रकार का फेफड़े का कैंसर है। अन्य कैंसरों की तरह ही फेफड़ों का एडेनोकार्सिनोमा भी असामान्य कोशिकाओं के विकास के कारण होता है। ये कैंसरग्रस्त कोशिकायें अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। ट्यूमर जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, वैसे–वैसे यह फेफड़े के हिस्सों को नष्ट करता चला जाता है। इस प्रकार से ट्यूमर की असामान्य कोशिकायें शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं, इससे चेस्ट के लोकल लिंक नोड्स, चेस्ट का केन्द्रीय भाग, लीवर, हड्डियां, एड्रेनल ग्रंथि तथा अन्य अंग जैसे ब्रेन विशेष रूप से प्रभावित हो सकते है। एडेनोकार्सिनोमा फेफड़े के कैंसर का अत्यंत सामान्य रूप है। यह कैंसर ज्यादातर धूम्रपान करने वाले लोगों में पाया जाता है। यद्यपि इसका लक्षण धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी काफी प्रकट होने लगा है। यह महिलाओं एवं 45 वर्ष से कम आयु वाले लोगों में पाये जाने वाले फेफड़े के कैंसर का सबसे प्रचलित रूप है। आइए हम आपको बताते है कि फेफड़े के कैंसर के अन्य रूपों के साथ एडेनोकार्सिनोमा से ग्रसित होने की कहॉ और किन स्थिति में अधिक संभावना रहती है। धूम्रपान धूम्रपान करने वाले लोगों में धूम्रपान न करने वाले लोगों की अपेक्षा फेफड़े के कैंसर की संभावना लगभग 13 गुणा अधिक होती है। एडेनोकार्सिनोमा के अधिकांश मामलों का संबंध सिगरेट पीने से है। धूम्रपान फेफड़े के कैंसर का अग्रणी रिस्क फैक्टर है। सिगरेट के धुएं के संपर्क में रहना धूम्रपान न करने वाले लोग, जो धूम्रपान नही करते पर ऐसे लोगों के सम्पर्क में रहते है जो धूम्रपान करते है है और ऐसे लोगों द्वारा उत्पन्न किये जाने वाले धुयें का श्वसन करते हैं। उन लोगों में भी फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। रेडॉन गैस के संपर्क में रहना रेडॉन एक रंगहीन, गंधहीन रेडियोधर्मी गैस है जो भूमि में उत्पन्न होती है। यह घरों व जन भवनों के निचले तलों तक फैलती है और पेय जल को प्रदूषित करती है। रेडॉन के सम्पर्क में आना लंग कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। हालांकि शोध से यह पता चलता है कि रेडॉन एक्सपोजर धूम्रपान करने वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर को बढ़ा देता है तथा ऐसे लोगों की इसके चपेट में आने की संभावना अधिक रहती है जो लोग रेडॉन के उच्च स्तर के बीच रहते हैं। खांसते वक्त खून का निकलना अगर किसी व्यक्ति को खांसते वक्त खांसी के साथ खून निकलता है तो उस व्यक्ति के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि कई मामलों में ये फेफड़ों का एडेनोकार्सिनोमा के लक्षण हैं। सांस लेने में असुविधा फेफड़ों में जब ट्यूमर फैल जाते हैं तब सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और घुटन होने लगती है। घुटन जैसा महसूस होना फेफड़ों का एडेनोकार्सिनोमा होने का लक्षण हो सकता है। सीने में दर्द सीने में दर्द होने की शिकायत कई बार फेफड़ों के कैसर के शिकार व्यक्ति में कैंसर के लक्षण के रूप में देखी गई है। इस प्रकार का दर्द काफी देर या दिनों तक रहता है एवं पीड़ादायक रहता है। गले में घरघराहट या गला बैठना गले में अक्सर खराश रहना, घरघराहट या गला बैठना भी कैंसर होने के संकेत देते हैं। हालांकि ये लक्षण तब भी हो सकते हैं जब आपके फेफड़ों में किसी प्रकार की सूजन हो। श्वशन प्रणाली अगर आपकी श्वशन प्रणाली में अक्सर संक्रमण रहता हो जैसे ब्रोंकाइटिस या न्यूमोनिया का होना तो ये भी फेफड़ों का एडेनोकार्सिनोमा होने का संकेत देते हैं। अन्य लक्षण
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