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चाय के स्वास्थ्य लाभ

संसार का शायद ही कोई ऐसा प्राणी रहा हो जिसने कभी चाय न पी हो| यानी चाय का स्वाद न चखा हो| अमीर-गरीब, मालिक-मजदूर सभी चाय का प्रयोग करते हैं| चाय ज्यों ही गले से उतर कर हृदय के साथ संपर्क स्थापित करती है, उसी क्षण शरीर में स्फूर्ति का संचार हो उठता है, तथा स्नायु में एक प्रकार की चेतना-शक्ति व्याप्त हो जाती है| चाय के साथ, रासायनिक विश्लेषण का वर्णन निम्न है

1. स्फूर्तिदायक
चाय अनुभति-संस्थान (Nervous System) को उत्तेजित कर स्फूर्ति देती है, अत: थकान होने पर ही पिएं|
2. सर्दी
जुकाम, सिरदर्द, बुखार, खांसी यदि ठण्ड से हों, छींक के कारण आंख, नाक से पानी निकलता हो, तो चाय पीना लाभदायक है| इससे ठण्ड दूर होकर पसीना आता है तथा सर्दी में आराम मिलता है| यदि जुकाम खुश्क हो, कफ गाढ़ा, पीला, बदबूदार हो, सिरदर्द, विवर-प्रदाह हो, तो चाय पीना हानिकारक है|
3. वात
चाय पेशाब में यूरिक एसिड बढ़ाती है| यूरिक एसिड से गठिया, जोड़ों की सूजन बढ़ती है| अत: वात के रोगियों को चाय नहीं पीनी चाहिए|
4. हानि
चाय वीर्य को पतला करती है| अत: नवयुवक इसे सोच-समझ कर पिएं|
5. बवासीर
चाय की पत्तियों को पानी में पीसकर गर्म करें, फिर गर्म-गर्म पिसी हुई चाय का बवासीर पर लेप करें| इससे अर्श का दर्द दूर हो जाता है|
6. पेचिश
चाय में पालिफिनोल तत्त्व पाया जाता है जो पेचिश के कीटाणुओं का नाश करता है| पेचिश के रोगी चाय पी सकते हैं, इससे लाभ होगा|
7. कैंसर
जापान में शोध-कर्त्ताओं के अनुसार चाय पीने वालों पर विकिरण सम्बन्धी रोगों का प्रभाव कम होता है| कैंसर की चिकित्सा में विकिरण किरणें प्रयोग की जाती हैं| विकिरण किरणों में रक्त से सफेद सैल नष्ट होते हैं| आसपास के स्वस्थ सैल भी जल जाते हैं| विकिरण के इन दुष्प्रभावों से बचाने के लिए चाय पीना लाभकारी है| चाय के किसी तत्त्व के कारण विकिरण चिकित्सा से रक्त के नष्ट होने वाले सफेद सैल की रक्षा होती है|
8. मूत्र की अधिकता
चाय पेशाब अधिक लाती है| जहां पेशाब ज्यादा कराना जरुरी हो, चाय पिएं|
9. जलना
किसी भी तरह कोई अंग जल गया हो, झुलस गया हो तो चाय के उबलते हुए पानी को ठंडा करके उसमें साफ कपड़ा भिगो कर जले हुए अंग पर रखें, पट्टी बांधें| यह पट्टी रखने पर जलने के निशान भी नहीं रहेंगे|