अंकोल के अद्भुत फायदे व पहचान |
दमा - अंकोल की जड़ को नींबू के रस में गाढ़ा दो घोटकर आधा आधा छोटा चम्मच सवेरे शाम 2 घंटे पूर्व लेने से भयंकर दमे की बीमारी में लाभ पहुंचता है। ![]() पागल कुत्ते का विष - सुदर्शन चूर्ण डेढ़ माशा, अंकोल की जड़ की छाल का चूर्ण डेढ़ माशा दोनों को मिलाकर सबेरे शाम डेढ़ माशे की खुराक में देने से पागल कुत्ते का विष नष्ट होता है। लगातार तीन महीने तक इस औषधि का सेवन करना चाहिए । चूहे के विष पर - इसकी जड़ की छाल को घिस कर पीने से तथा उसी को घिस कर दंश पर लगाने से चूहे का बिष और उससे पैदा हुई शरीर की दाह दूर होती है ज्वर पर - इसकी जड़ के चूर्ण की ढाई रत्ती से पांच रत्ती तक की मात्रा देने से पसीना आकर मौसमी ज्वर उतर जाता है जलोदर पर - इसी चूर्ण की डेढ़ माशे से तीन माशे तक की मात्रा देने से दस्त आकर अजीर्ण रोग और जलोदर से फायदा होता है। कुष्ठ रोग पर - इसकी जड़ की छाल, जायफल, जावित्री और लॉन्ग प्रत्येक पांच पांच रत्ती लेकर छोड़ कर के देने से कोढ़ का बढ़ना बंद होता है। इसी प्रकार बढ़िया हड़ताल को अंकुर के तेल घोटकर तिकड़ी बनाकर एक हांडी में पीपल के झाड़ की राख भर कर उस पर वह तिकड़ी रखकर ऊपर से फिर राख भर कर 12 प्रहर को आंच देने से भी भस्म होती है, यह भस्म कोढ़ के असाध्य दर्दों में लाभ पहुंचाती है। |