100 रोगों की एक दवा है आंवला |
आंवले के फल का बहुत अधिक महत्व है। यह एक प्रकार से भारतीय आयुर्वेद का मूलाधार भी है। माना गया है कि ठंड में आंवले का सेवन करना काफी गुणकारी है।
आंवला पादप साम्राज्य का फल है। यह मैंगोलियोफाइटा विभाग और वर्ग का फल है तथा इसकी जाति रिबीस है और प्रजाति का नाम आर−यूवा−क्रिस्पा तथा वैज्ञानिक नाम रिबीस यूवा क्रिस्पा है। ![]() यह फल देने वाला वृक्ष है। यह करीब 20 फीट से 25 फीट तक लंबा पौधा होता है। यह एशिया के अलावा यूरोप और अफ्रीका में भी पाया जाता है। हिमालयी क्षेत्र और प्रायद्वीप भारत में आंवले के पौधे बहुतायत में मिलते हैं। इसके फल सामान्य रूप से छोटे होते हैं। लेकिन प्रसंस्कृत पौधे में थोड़े बड़े फल लगते हैं। इसके फल हरे, चिकने और गूदेदार होते हैं। संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा आदि नामों से जानते हैं। यह समस्त भारत में जंगलों तथा बाग के बगीचों में होता है। भारत में वाराणसी का आंवला सबसे अच्छा माना जाता है। यह वृक्ष कार्तिक माह में लगता है। आयुर्वेद में आंवले का सर्वाधिक महत्व है। चरक के मतानुसार आंवला शारीरिक अवनति को रोकने वाला, कल्याणकारी, वयस्था तथा धात्री (माता के समान रक्षा करने वाला) कहा गया है। आयुर्वेद में आंवला सर्वाधिक स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आंवला विटामिन सी का सर्वोतम प्राकृतिक स्रोत है। इसमें विद्यमान विटामिन सी नष्ट नहीं होता। आंवला दाह, पांडु, रक्तपित्त, अरूचि, त्रिदोष, दमा, खांसी, श्वांस रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। यह पौरूष को बढ़ाता है। सिर के केशों को काले, घने व लम्बे रखता है। विटामिन−सी एक ऐसा नाजुक तत्व होता है जो गर्मी के प्रभाव से नष्ट हो जाता है, लेकिन आंवले का नष्ट नहीं होता। हिंदू धर्म में आंवले का पेड़ व फल दोनों ही पूज्य हैं। कहा जाता है कि आंवले का फल भगवान विष्णु को पूज्य है। मान्यता है कि अगर आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाकर खाया जाये तो सारे रोग दूर हो जाते हैं। दिमागी मेहनत करने वाले व्यक्तियों को वर्षभर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करना चाहिये। आंवले का नियमित सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। आंवले के 17 लाभ−
आंवले के विषय में जितना भी कहा जाये कम है। कहा जाता है कि यह 100 रोगों की एक दवा है। आयुर्वेद में आंवला सभी रोगों की अचूक दवा मानी गयी है। यह किसी भी रूप में बेहद लाभकारी है चाहे अचार हो या फिर मुरब्बा। शीत में आंवले का सेवन सभी को करना चाहिये। सुबह प्रतिदिन खाली पेट दो आंवले खाने या रात में सोने से ठीक पहले एक चम्मच आंवले का चूर्ण एक घूंट पानी के साथ लेने का प्रभाव आप एक महीने में स्वयं महसूस करेंगे। |