इस दिशा में रखें अलमारी, गहने और जमीन के कागज

इस दिशा में रखें अलमारी, गहने और जमीन के कागज

दक्षिण-पश्चिम दिशा का कोना नैऋत्य कहलाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इसका विस्तार 202.5 अंशों से 247.5 अंशों तक होता है। यह दिशा घर की महत्वपूर्ण दिशा होती है‌। यह मुख्य रूप से ग्रह स्वामी की दिशा होती है। जब तक गृह स्वामी की मन:स्थिति मजबूत एवं दृढ नहीं होगी, उसकी नेतृत्व क्षमता और उत्तम स्वास्थ्य नहीं होगा तो उस घर में धन का स्थायित्व नहीं आएगा। सारा घर इससे बुरी तरह से प्रभावित रहता है। अतः भवन के स्वामी को इसी दिशा में अपना कक्ष बनाना चाहिए। नैऋत्य दिशा के स्वामी यम हैं जो मृत्यु के देवता हैं। इस दिशा में सबसे भारी सामान, ऊंचाई और बंद होना आवश्यक है। भवन का यह भाग घर के अन्य भागों से यदि उन्नत होता है तो घर में धन धान्य,समृद्धि बढ़ती है। गृह स्वामी प्रसन्न रहता है। उसका स्वास्थ्य अच्छा होता है। इस दिशा में गृह स्वामी का कक्ष, स्टोर, सीढ़ियां, सेफ, भारी अलमारी, सबसे ऊपर पानी की टंकी, शौचालय, स्थाई संपत्ति के कागज,जमीन की रजिस्ट्री, बीमे के बॉन्ड, एफडी,आरडी के डाक्यूमेंट्स आभूषण आदि रखें। इस दिशा में घर का द्वार कदापि न रखें और खिड़की, रोशनदान भी नहीं रखना चाहिए। यदि आपका मकान इस स्थिति में है तो गृह स्वामी मजबूत इच्छाशक्ति वाला होता है। अपरिहार्य स्थिति में इस दिशा में छोटा वेंटीलेशन (रोशनदान) लगा सकते हैं। यदि इस दिशा में घर का द्वार होता है तो गृहस्वामी के स्वास्थ्य पर असर डालता है। घर में क्लेश, धन की बरकत कम होती है। अनावश्यक खर्चे, बीमारी पर खर्चे बढ़ जाते हैं।

यदि नैऋत्य दिशा में घर का ढलान होगा तो घर का धन पानी की तरह बहेगा। खर्चा बढेगा। संतान स्वछन्द हो सकती है। अतः इस दिशा को सदैव ऊंचा एवं बंद रखें। ढलान हमेशा दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूरब की ओर रखें। घर का सबसे ऊंचा भाग इसी दिशा में होना चाहिए। कार्यालयों में या ऑफिस में डायरेक्टर,चेयरमैन आदि का कक्ष इसी दिशा में होना चाहिए ताकि सारा स्टाफ उनके कंट्रोल में रहे। फैक्ट्री या कारखाने में भारी मशीनरी हमेशा दक्षिण पश्चिमी दिशा में रखें। एक बात और अपने घरों में (सर्वेंट रूम) सेवक का कक्ष इस दिशा में कभी भी भूलकर ना रखें। वे हमेशा आप पर हावी रहेंगे। उनके कार्य और व्यवहार में कार्य में शिथिलता आ जाएगी। नैऋत्य में सिंक अर्थात बर्तन साफ करने का स्थान, पश्चिम में रेफ्रिजरेटर और दक्षिण पूर्व में चूल्हा, चिमनी रखनी चाहिए। एक बात और ध्यान रखने की है रसोई घर में मंदिर नहीं बनाना चाहिए‌। इससे मंदिर की पवित्रता नष्ट हो जाती है। इस दिशा से सूर्य की किरणें पूरे घर के स्वास्थ्य पर अनुकूल-अच्छा प्रभाव डालती हैं। जिन घरों में आग्नेय दिशा बंद होती है उसमें सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती जिससे महिलाओं के पैरों में दर्द ,घुटनों में दर्द, सर में दर्द आदि की शिकायत निरंतर बनी रहती है।
जन्म कुंडली के अनुसार जिनका शुक्र उत्तम अवस्था में है या जिनका मूलांक या भाग्य अंक 6 होता है अर्थात जिनकी जन्म तारीख 6 ,15,24 हो इस दिशा में घर का द्वार अच्छा रहता है। सामान्य रूप से इस दिशा में द्वार बनाने से बचना चाहिए। ऑफिस या कार्यालय आदि में इस स्थान पर बिजली के मीटर, छोटा रसोईघर रखना अच्छा होता है। इस दिशा में शौचालय तभी बनाएं जब घर में उसका अन्य विकल्प न हो।