चव्य (बड़ी पिप्पली) के हैं अनेक अनसुने फायदे

चव्य (बड़ी पिप्पली)  के हैं अनेक अनसुने फायदे

चव्य के फायदे और उपयोग

चव्य (बड़ी पिप्पली) के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

बदहजमी में चव्य के सेवन से लाभ
बदहजमी में चाभ के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। चाभ की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से बदहजमी में लाभ होता है।

सर्दी-खांसी में चव्य के सेवन से लाभ
आप सर्दी-खांसी के इलाज में चाब में फायदा ले सकते हैं। इसके लिए 500 मिग्रा चव्य की जड़ का चूर्ण बना लें। इसमें 250 मिग्रा सोंठ चूर्ण और 250 मिग्रा चित्रक का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ खाएं। इससे सर्दी और खांसी में लाभ होता है। पिप्पली, चव्य, चित्रक, सोंठ और मरिच को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। 500 मिग्रा चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।

सांसों की बीमारियों में चव्य के सेवन से लाभ 6
चव्य की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से दमा और फेफड़ों की सूजन में लाभ होता है। इससे गले की खराश खत्म होती है।

टीबी की बीमारी में चव्य के फायदे
चव्य, सोंठ, मरिच, पीपल और वायविडंग की बराबर मात्रा लें। इसके चूर्ण को 3-4 ग्राम मात्रा में लेकर मधु और घी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे टीबी की बीमारी में लाभ होता है।

मूत्र रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है चव्य
5-10 ग्राम चव्यादि घी का सेवन करने से पेचिश, गुदभ्रंश (गुदा से कांच निकलना), मूत्र रोग, गुदा दर्द होना (गुदशूल), नाभि और मूत्राशय के बीच के दर्द आदि विकारों में लाभ होता है।

पेट के रोग की आयुर्वेदिक दवा है चव्य
चब और सोंठ का पेस्ट बना लें। 1-2 ग्राम पेस्ट को दूध के साथ पीने से पेट की बीमारियों में लाभ होता है। चब, चित्रक, शुण्ठी और देवदारु से काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा में 500 मिग्रा त्रिवृत्चूर्ण और गोमूत्र मिलाकर पीने से पेट की बीमारियों में लाभ होता है। पिप्पली, पिप्पली-जड़, चित्रक, चव्य और सोंठ को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। 1 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के रोगों में लाभ होता है।

दस्त की आयुर्वेदिक दवा है चव्य
चाभ की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से बदहजमी, पेट दर्द और दस्त में लाभ होता है। 1-2 ग्राम चव् फल का चूर्ण लें। इतना ही आम की गुठली की गिरी मिला लें। इसे पानी में मिलाकर छाने लें। इसे पिलाने से दस्त में लाभ होता है। चाब, श्वेतजड़ा और क्षीरीवृक्ष के नए कोमल पत्तों को पीसकर तेल के साथ पका लें। इसका सेवन करने से दस्त बन्द हो जाते हैं।

पेट फूलने (गैस की समस्या) की बीमारी चव्य का औषधीय गुण फायेदमंद
आप गैस की समस्या में भी चाभ से फायदा ले सकते हैं। 500 मिग्रा चव्य फल के चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से पेट फूलने या गैस की सम्सया में लाभ होता है।

उल्टी में चव्य के सेवन से फायदा
अतीस, कूठ, कच्ची बेलगिरी, सोंठ, कुटज-छाल, इन्द्रयव और हरीतकी का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से उल्टी और दस्त में लाभ होता है।

पेचिश में चव्य का औषधीय गुण फायेदमंद
चाब, चित्रक, बेलगिरी और सोंठ की बराबर मात्रा लेकर चूर्ण बना लें। चूर्ण की 2-4 ग्राम मात्रा में लेकर छाछ के साथ सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।

पाचनतंत्र विकार में चव्य के फायदे
पाचनतंत्र विकार के इलाज के लिए चव्य फल के चूर्ण में चव्य रस और मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पाचनतंत्र विकार ठीक होता है। इससे सांसों की बीमारियों में भी लाभ होता है।

चव्य के औषधीय गुण से डायबिटीज पर नियंत्रण
चव्य, अरणी, त्रिफला और पाठा का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली काढ़ा में शहद मिलाकर पीने से डायबिटीज में लाभ होता है।

चव्य के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज
1-2 ग्राम चव्य फल के चूर्ण का सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है। चव्य की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।

नशे की लत छुड़ाने (मद्य विकार) में चव्य का औषधीय गुण फायेदमंद
चव्य, काला नमक, बिजौरा नींबू का गूदा (सुखाया हुआ) और सोंठ की बराबर मात्रा लें। इनका चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम चूर्ण को गर्म जल के साथ सेवन करने से मद्यपान (शराब की लत) को छोड़ने में मदद मिलती है।

मिर्गी में चव्य के फायदे
मिर्गी के इलाज में भी चाभ के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। चाब के चूर्ण को नाक से लेने पर मिर्गी में लाभ होता है।

चव्य के औषधीय गुण से मोटापे का इलाज
चव्य, श्वेत जीरा, सोंठ, मिर्च, पीपल, हींग, काला नमक और चित्रक की बरबार-बराबर मिलाकर चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को यव के सत्तू में मिला लें। सत्तू को दही के पानी के साथ अच्छी तरह मिला लें। इसे पीने से मोटापे का इलाज होता है।

चव्य के उपयोगी भाग
चव्य के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
जड़, फल