छलनी से चांद देखने की प्रथा क्यों है करवा चौथ पर

छलनी से चांद देखने की प्रथा क्यों है करवा चौथ पर

हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओ के लिए अपने पति की मंगलकामना के लिए कई व्रत बताये गये है जिसमे से एक है करवा चौथ का व्रत | यह हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है | यह व्रत दांपत्य जीवन में खुशहाली और प्रेम बढाता है साथ ही पति की आयु को बढ़ाने वाला माना जाता है |

"छलनी से चंद्रमा को देखना "
चन्द्र देवता के दर्शन करके इस व्रत को महिलाये खोलती है |


चांद को छलनी से देखने के पीछे का रहस्य
करवा चौथ व्रत कथा में आई कहानी के अनुसार एक बार किसी बहन को उसके भाइयों ने भोजन कराने के लिए छल से चांद की बजाय छलनी की ओट में दीपक दिखाकर भोजन करवा दिया | बिना चाँद देखे व्रत तोड़ने के कारण बहिना का व्रत भंग हो गया | इस छल से वो अत्यंत दुखी हुई और उसने इससे उभरने के लिए पुरे साल चतुर्थी का व्रत रखने का प्रण ले लिया | इसके बाद आने वाली हर चतुर्थी पर विधि विधान से व्रत किया और जब फिर से करवा चौथ आई तब उसने अपने हाथ से छलनी के माध्यम से चाँद के दर्शन किये |
छलनी के जरिये चंद्रमा के बारीकी से दर्शन कर वो आश्वत हुई कि इस बार उसका व्रत भंग नही हो पाया है | तब से यह परम्परा बन गयी की करवा चौथ की रात्रि व्रत धारी महिलाये छलनी से चन्द्र देवता को देखकर ही अपना व्रत खोलेगी |