श्री जगन्नाथ मंदिर

श्री जगन्नाथ मंदिर

पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है। ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार, पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था। वह यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए सबर जनजाति के देवता होने की वजह से यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह है। जगन्नाथ मंदिर की महीमा देश में ही नहीं विश्व में भी प्रसिद्ध हैं।

केसे पहुंचे
वायु मार्ग - भुवनेश्वर हवाई अड्ड़ा सबसे निकटतम हवाई अड्ड़ा है। पुरी से भुवनेश्वर पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है, यह लगभग 56 किमी दूर स्थित है। भुवनेश्वर हवाई अड्ड़ा भारत के तथा ओड़िशा के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। हवाई अड्ड़े से पुरी के लिए बसों तथा टैक्सियों की सेवा उपलब्ध है।

रेल मार्ग - पुरी में एक रेलवे स्टेशन है। पुरी से ओड़िशा के प्रमुख स्थानों के लिए एवं भारत के अन्य शहर जैसे कोलकाता, नई दिल्ली, गुवाहाटी, बंगलौर, चेन्नई, आदि के लिए सीधी रेल गाड़ियों की सेवा उपलब्ध है।

सड़क मार्ग - पुरी शहर अच्छी सड़कों से जुड़ा हुआ है। सरकारी तथा निजी बसों की सेवा ओड़िशा के प्रमुख शहरों से तथा कोलकाता से उपलब्ध है। शहर की सैर के लिए तथा पुरी में अन्य पर्यटन क्रियाकलापों के लिए ओड़िशा पर्यटन विकास निगम(ओ.टी.ड़ी.सी) की ड़ीलक्स बसों की सेवा उपलब्ध है।

आरती समय
मंगला आरती
04:30 से 05:10
श्रृंगार आरती
08:00 से 08:30
भोग आरती
12:00 से 12:30
संध्या आरती
7:00 से 7:30
भोग आरती
8:00 से 8:30
शयन आरती
9:30